मध्य प्रदेश के आंचलिक पर्व व मेले(Zoological Events and Fairs of Madhya Pradesh) - GK Study

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मध्य प्रदेश के आंचलिक पर्व व मेले(Zoological Events and Fairs of Madhya Pradesh)

मध्यप्रदेश के प्रमुख आंचलिक पर्व एवं मेले



1.भगोरियायह मालवा क्षेत्र के भीलो का उत्सव है इस पर्व में वे अपने जीवन साथी का चुनाव करते हैं यह उत्सव फागुन में मनाया जाता है इस
2.मेघनाथफागुन में गोंड आदिवासियों द्वारा यह पर्व मनाया जाता है मेघनाथ को कौन सर्वोच्च देवता मानते हैं और इसकी पूजा करते हैं यह फागुन माह के पहले पक्ष में गोंड आदिवासियों द्वारा मनाया जाता है इस अवसर पर आदिवासी करतब दिखाते हैं एवं पूजा अनुष्ठान करते हैं
3.गणगौरयह महिलाओं का पर्व है जो मालवा क्षेत्र में वर्ष में दो बार मनाया जाता है केंद्र और भादो माह में इस उत्सव पर स्त्रियां शिव पार्वती का पूजन और नृत्य करती हैं और अंत में प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है
4. संजा ब मामूलिया संजा मालवा क्षेत्र में कुंवारी लड़कियों का उत्सव है जो अशिवन माह में 16 दिन तक मनाया जाता है इस दौरान दीवार पर आकृति अंकन और संध्या समय गायन किया जाता है बुंदेलखंड क्षेत्र में ऐसे ही एक पर्व को मामुलिया के नाम से जाना जाता है
5. नोरता दशहरे के पूर्व 9 दिन तक यह उत्सव महिलाएं बनाती हैं इस दौरान मां दुर्गा की पूजा होती है और गरबा भी आयोजन होता है
(6.दशहरा यह प्रदेश का प्रमुख त्योहार है राम की विजय के प्रतीक के रूप में जेठ माह दशमी को मनाया जाता है इस अवसर पर शस्त्र पूजन दशहरा मिलन होता है बुंदेलखंड क्षेत्र में इस दिन लोग एक दूसरे से घर-घर जाकर गले मिलते हैं और एक दूसरे को पान खिलाते हैं
7.गंगा दशमी  सरगुजा क्षेत्र में यह उत्सव गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है जो जेठ माह दशमी को होता है इस पर्व में पति-पत्नी मिलकर पूजन करते हैं यह पर्व धर्म से सीधा संबंध नहीं रखता लोग इस दिन अपनी अपनी पत्नी के साथ नदी किनारे खाते-पीते नाचते-गाते और तरह तरह के खेल खेलते हैं
8. मडईजनवरी से अप्रैल के बीच दक्षिणी मध्यप्रदेश के अनेक क्षेत्रों में जहां गोंड और उनकी उपजाति रहती है मडई का आयोजन किया जाता है यह 10 से 12 दिन चलता है मडई के दौरान देवी के समक्ष बकरे की बलि दी जाती है उसी दौरान आदिवासी अपने उनका देव के प्रति भक्ति का प्रसन्न करते हैं पढ़ाई के दिनों में रात्रि को नृत्य किया जाता है
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Madhya Pradesh General Knowledge



9.हरेली मुख्य रूप से किसानों का पर्व है इस दिन सभी कृषि एवं लोह उपकरणों की पूजा की जाती है श्रवण माह की अमावस को यह पर्व मनाया जाता है यह मंडला जिले में श्रवण पूर्णिमा एवं मालवा में आषाढ़ माह में मनाया जाता है मालवा में इसे हरयागोधा कहते हैं
10.गोवर्धन पूजा कार्तिक माह में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है यह पूजा गोवर्धन पर्वत और गोधन से संबंधित है महिलाएं गोबर से पर्वत और  बेलो की आकृतियां बनाती है मालवा में भील आदिवासी पशुओं के सामने अवदान गीत होढ़ गाते हैं पशुपालक अहीर इस दिन खेर देव की पूजा करते हैं चंद्रावली नामक कथा गीत भी इस अवसर पर गाया जाता है
11.नवात्र नई फसल पकने पर दीपावली के बाद यह पर्व मनाया जाता है कहीं कहीं यह छोटी दीपावली कहलाती है
12.लारुकाज इस उत्सव में सूअर की बलि दी जाती है यह उत्सव गोंड आदिवासी नारायण देव के सम्मान में मनाते हैं गोंडों का नारायण देव के सम्मान में मनाया जाने वाला यह पर्व सूअर के विवाह का प्रतीक माना जाता है आजकल यह पर्व धीरे धीरे लुप्त होता जा रहा है परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए इस तरह का आयोजन एक निश्चित अवधि के बाद करना आवश्यक होता है
13. रतोना यह बैगा आदिवासियों का प्रमुख त्यौहार है इस पर्व का संबंध नागा बेगा से है इस अवसर पर मधुमक्खियों की पूजा की जाती है
14. करमा हरियाली आने की खुशी में यह त्यौहार मुख्य रूप से उरांव मनाते हैं जब धान रोपने के लिए तैयार हो जाता है तब यह उत्सव मनाया जाता है और करमा नृत्य किया जाता है
15.सरहुलयह त्यौहार उरांव जनजाति का महत्वपूर्ण त्यौहार है इस अवसर पर प्रतीकात्मक रुप से सूर्य देव और धरती माता का विवाह रचाया जाता है मुर्गे की बलि दी जाती है अप्रैल के आरंभ में साल वृक्ष के फल ने पर यह त्योहार मनाया जाता है
16.सुआराबुंदेलखंड क्षेत्र सुआरा पर्व मालवा के  घढ़लिया की तरह ही है दीवार से लगे एक चबूतरे पर एक राक्षस की प्रतिमा बनाई जाती है राक्षस के सिर पर शिव पार्वती की प्रतिमाएं रखी जाती है दीवार पर सूर्य और चंद्र बनाए जाते हैं इसके बाद लड़कियां पूजा करती हैं और गीत गाती हूं
17.भाई दूज साल में दो बार मनाई जाती है एक चैत माह में होली के उपरांत तथा दूसरी कार्तिक में दीपावली के बाद बहन ने भाई को कुमकुम हल्दी चावल से तिलक करती हैं बता भाई बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं


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