भारत में संगीत से जुड़े व्यक्तित्व तथा उनकी जानकारी जो की परीक्षा में कई बार पूछी जाती है
बैजूबावरा:- इनका
जन्म 1450 में गुजरात राज्य में हुआ था | मंगल गुजरी तथा गुजरी टोडी जैसी नवीन रागों का
आविष्कार बैजू बावरा ने ही किया था
तानसेन:- संगीत सम्राट तानसेन का जन्म
1506 ईसवी में ग्वालियर के समीप बेहट गांव में हुआ था| यह मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे
चंडीदास:- प्रसिद्ध संस्कृत कवि जयदेव के समकालीन थे इनका जन्म पश्चिम
बंगाल में हुआ था |
अमीर खुसरो:- उन्होंने भारतीय संगीत को वैदिक संगीत के ध्रुपद धमार गायकी
के पुराने दायरे से निकालकर फारसी तथा अरबी संगीत के संपर्क में लाकर भारतीय एवं
ईरानी संगीत में समन्वय की स्थापना की
स्वामी हरिदास:- स्वामी हरिदास का आविर्भाव काल संभवत: 14 वी
शताब्दी के उत्तरार्ध में माना जाता है | इनकी प्रमाणिक रचनाओं के रूप में 118 ध्रुपद
पदों की स्वीकृति मिली है जिनमें 18 सिद्धांत के पद तथा 110 केलिमाल
के नाम से प्रसिद्ध है| |
वेम्मना:- 17 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में जन्मे वेम्मना तेलुगू भाषा के प्रसिद्ध कवि थे | इनके
गीतों का संग्रह वेम्मन शतकम के नाम से विख्यात है |
अदारंग:- गुरु सदारंग के शिष्य फिरोज खां एक श्रेष्ठ गायक तथा बीनकार थे |
ध्यागराज:- राज कर्नाटक के संगीत के पारंपरिक स्वरूप में क्रांतिकारी
परिवर्तन लाने का श्रेय त्याग राज को जाता है|
रहीम सेन:- 1773 ईस्वी में जन्मे रहीम सेन (प्रसिद्ध सितार वादक) का संबंध सेनिया घराने से था|
कुदाऊ सिंह:- सन 1815
ईसवी में जन्मे कुदाऊ सिंह देश के सुप्रसिद्ध
मृदंग बादको में से एक थे यह पखावज वादन में भी सिद्धहस्त थे सन 1910
ईस्वी में इन महान कलाकार का निधन हो गया
पं. कृष्ण राव शंकर पंडित:- इनका जन्म 26 जुलाई 1893 को ग्वालियर में हुआ था यह
ग्वालियर घराने के प्रतिनिधि गायक तथा हिंदुस्तानी संगीत के शलाका पुरुष थे इन्होंने सन 1914 में ग्वालियर के 'गंधर्व
ग्वालियर महाविद्यालय' की स्थापना की
पं. विष्णु नारायण भातखंडे:- इनका जन्म 10 अगस्त 1807 ई. को महाराष्ट्र के बालूकेश्वर नामक
स्थान पर हुआ था उन्होंने कई खंडों में हिंदुस्तानी संगीत पद्धति की क्रमिक पुस्तक
माला का प्रकाशन किया |
आमिर खां:- आमिर खां का जन्म 1912
ईस्वी में अकोला में इंदौर के योग्य संगीत वादक शमीर खां के यहां हुआ था यह किराना घराने के
सर्वश्रेष्ठ संगीतकार थे | यह 1967
में संगीत नाटक अकादमी के अकादमी अवार्ड एवं 1971 में पद्मश्री तथा राष्ट्रीय संगीतज्ञ की उपाधि से भी
सम्मानित किए गए
अब्दुल करीम खां:- सन 1884
ईसवी में जन्मे अब्दुल करीम खान ने हिंदुस्तानी
संगीत को दक्षिण भारत में लोकप्रिय बनाने में अभूतपूर्व योगदान दिया सन 1913 में पुणे में इन्होंने 'कार्य संगीत विद्यालय' की
स्थापना की
बालासाहेब पूछ वाले:- ख्याल के साथ ही टप्पा तथा तराना शैली के प्रसिद्ध गायक
श्री बालासाहेब पूछ वाले का जन्म ग्वालियर में दिसंबर 15 , 1912 को हुआ था | बालासाहेब पूछ वाले ने
भारतीय संगीत के विकास में काफी बड़ा योगदान दिया
पं. भीमसेन जोशी:- पंडित भीमसेन जोशी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के
सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से एक हैं |
अली अकबर खां:- इनका का जन्म सरोज सम्राट उस्ताद अलाउद्दीन खां के घर 14 अप्रैल
1922 को हुआ था | यह अंतरराष्ट्रीय ख्याति
प्राप्त सरोदवादक है यह संगीत अकादमी और राष्ट्रपति पुरस्कार के साथ ही पद्म भूषण
की उपाधि से अलंकृत किए जा चुके हैं |
पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर:- इनका जन्म 30
अगस्त 1872 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर
जिले के कुंदनबाड़ी नामक ग्राम में जन्मे श्री पलुस्कर द्वारा 1895 में लाहौर के गंधर्व विश्वविद्यालय की स्थापना की सन 1908 में मुंबई में संगीत महाविद्यालय की स्थापना की संगीत के
क्षेत्र में मैं इनकी अनुपम देन है
मुस्ताक अली खां:- सेनिया घराने के प्रसिद्ध सितार वादक मुस्ताक अली खान देश
के एकमात्र सितार वादक थे जो पारंपरिक शैली में 17 तारों पर वादन करते थे
हीराबाई बड़ोदकर:- हीराबाई बड़ौद कर किराना घराने की प्रसिद्ध गायिका थी उनके
गायन में यमन , भूप
एवं मालकांस रागों
की ही प्रधानता रहती थी
पंडित कामता प्रसाद मिश्र:- प्रसिद्ध तबला वादक तथा तबला सम्राट की उपाधि से विभूषित
पंडित शांता प्रसाद मिश्र उर्फ
गूदई महाराज
का संबंध हिंदुस्तानी संगीत के बनारस से है यह पद्मश्री तथा अकादमी पुरस्कार
से सम्मानित हो चुके हैं
बिस्मिल्लाह खां"- शहनाई वादन की कला के माध्यम से विश्व प्रसिद्ध बिस्मिल्ला
खां का जन्म 1915 में बिहार राज्य के भोजपुर जिले के डुमरांव में हुआ |
1969 में एशियाई संगीत सम्मेलन का
रोस्तम पुरस्कार और भारत सरकार द्वारा विभिन्न पुरस्कारों से
सम्मानित हो चुके हैं
पं. रवीशंकर:- इनका जन्म 7 अप्रैल 1920 को उदयपुर में हुआ था | इन्होंने विभिन्न रागों के सम्मेलन से कई नवीन रागो को जन्म दिया है जैसे तिलकश्याम, कामेश्वरी, रंगेश्वरी
, करसिया ,
नट भैरव , परमेश्वरी एवं मोहन कोंस तथा गानों की 4 -5 सौ विभिन्न बंदिशें | 1982 में
आयोजित एशियाड का धुन इन्होंने ही तैयार किया था |
अल्लादिया खां :- सन 1885
में जन्मे अल्लादिया खां का संबंध अलीगढ़ के
पास स्थित संगीत के अतरौली
या अमोली घराने से हे
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