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नवंबर 29, 2019

इंग्लैण्ड की क्रांति/गौरवपूर्ण क्रांति(Proud revolution/England revolution)

इंग्लैण्ड की क्रांति/गौरवपूर्ण क्रांति(Proud revolution/England revolution)NTPC , RAILWAY GROUP-D , SSC , IBPS , STATE PSC , MPPSC, BPSC ,CGPSC AND MORE के लिए उपयोगी

 

 

इंग्लैण्ड की क्रांति/गौरवपूर्ण क्रांति(Proud revolution/England revolution)

 

18वीं सदी में विश्व में तीन प्रमुख क्रांतियाँ घटित हुई जिनमें 1688 में इंग्लैण्ड में घटित वैभवपूर्ण क्रांति थी। इसे रक्तहीन क्रांति भी कहा जाता है क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति की रक्त की एक बूंद भी नहीं बही और केवल प्रदर्शन और वार्तालाप से ही पूरी क्रांति सफल हो गई।


भूमिका

1685 में इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स द्वितीय की मृत्यु हो गई। उसके बाद उसका भाई जैम्स द्वितीय के नाम से इंग्लैण्ड के राजसिंहासन पर बैठा। राजा बनने के बाद उसने कैथोलिक धर्म का प्रचार-प्रसार किया। उसने अपनी नीति सफल बनाने के लिए लुई-14वां (फ्रांस) से प्राप्त सेना तथा धन को आधार बनाया।
1685 ई. जब फ्रांस में आतंकवाद का वातावरण प्रारंभ हो गया तो बड़ी संख्या में असंतोष शरणार्थी इंग्लैण्ड आने लगे। इससे इंग्लैण्ड में असंतोष फैला। जेम्स ने विश्व वि्द्यालय तथा सरकारी नौकरियों में कैथोलिक मतावली को ही रखा। उसके अन्य अवैध और अनुचित कार्यों से इंग्लैण्ड में तीव्र रोष और विरोध फैल गया। अंत में जेम्स को इंग्लैण्ड छोड़ना पड़ा और संसद ने उसकी बेटी मेरी को इंग्लैंड की शासिका बनाया। इस घटना को इंग्लैण्ड में महान क्रांति या वैभवपूर्ण क्रांति कहते हैं इसमें रक्त की एक बूंद भी नहीं बही और परिवर्तन हो गया अतः इसे गौरवशाली क्रांति भी कहते हैं।




क्रांति के कारण

1. जेम्स द्वितीय की निरंकुशता : जेम्स द्वितीय निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासक था। उसने अपनी सेना में वृद्धि की ताकि जनता को आतंकित कर सके। जनता उससे त्रस्त थी। अतः जनता द्वारा जेम्स का विरोध होना स्वाभाविक था।

2. संसद द्वारा अधिकारों के लिए संघर्ष:
संसद अपने विशेष अधिकारों का उपयोग करना चाहती थी तथा राजा के अधिकारों को सीमित व नियंत्रित करना चाहती थी। फलतः राजा और संसद के मध्य संघर्ष  प्रारंभ हो गया और इस संघर्ष का अंत शानदार क्रांति के के रूप में हुआ और अंत में संसद ने राजा पर विजय प्राप्त की।

3.खूनी न्यायालय:
चार्ल्स द्वितीय के अवैध  पुत्र मन्मथ ने जेम्स द्वितीय के विरुद्ध सिंहासन प्राप्ति हेतु विद्रोह कर दिया। जेम्स ने मन्मथ को युद्ध में पराजित कर दिया तथा बंदी बना लिया। उसे तथा उसके साथियों को न्यायालय द्वारा मृत्युदण्ड दे दिया गया। इसे खूनी न्यायालय कहा गया।
इसी तरह स्कॉटलैंड में अर्ल ऑफ अरगिल ने विद्रोह किया तो इसे भी जेम्स ने कठोरतापूर्वक दबा दिया तथा 300 व्यक्तियों को मृत्युदण्ड दिया तथा 800 लोगों को दास बनाकर वेस्टइंडीज भेज दिया गया। स्त्रियों और बच्चों को भी क्षमा नहीं किया गया। इस क्रूरता से जनता रुष्ट हो गयी।

4. जेम्स द्वितीय की निष्फल विदेश नीति:
जेम्स द्वितीय फ्रांस के कैथोलिक राजा लुई- 14 से आर्थिक और सैनिक सहायता प्राप्त कर इंग्लैंड में अपना निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासन स्थापित करना चाहता था। लुई कैथोलिक था और प्रोटेस्टेटों पर अत्याचार करता था। इससे ये प्रोटेस्टेंट  इंग्लैण्ड में आकर शरण ले रहे थे। अतः इंग्लैण्डवासी और संसद सदस्य नहीं चाहते थे कि जेम्स लुई से मित्रता रखे। अतः वे उसके विरोधी हो गये।

5. कैथोलिक धर्म का प्रसार :
जेम्स  कैथोलिक धर्म का अनुयायी था जबकि इंग्लैंड की अधिकांश जनता एंग्लिकन मत की थी। वह कैथोलिकों को अधिक सुविधाएँ देता था तथा अनेक महत्वपूर्ण पदों पर भी उन्हें ही नियुक्त करता था। उसने लंदन में अनेक कैथोलिक गिरजाघर भी स्थापित किये। इससे इंग्लैण्ड की जनता उसकी विरोधी हो गई।

6. टेस्ट अधिनियम को स्थगित करना:
टेस्ट अधिनियम के अनुसार केवल एंग्लिकन  चर्च के अनुयायी ही सरकारी पदों पर रह के सकते हैं किन्तु जेम्स ने इस नियम को स्थगित कर दिया तथा अनेक कैथोलिकों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया। अत: संसद इससे रुष्ट हो गई।

7. विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप :
कैथोलिक होने के कारण जेम्स ने विश्वविद्यालयों में भी ऊंचे पदों पर कैथोलिकों को नियुक्त किया। क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय पद में भी कैथोलिक को नियुक्त किया। इससे प्रोटेस्टेंट समुदाय के लोग जेम्स के विरोधी हो गये।

8. धार्मिक अनुग्रहों की घोषणाएँ:
जेम्स द्वितीय ने इंग्लैण्ड को कैथोलिकों का देश बनाने के लिए दो बार धार्मिक अनुग्रहों की घोषणा की। इससे संसद में भारी असंतोष व्याप्त हो गया और वह इसकी घोर विरोधी हो गई।

9. सात पादरियों पर महाभियोग और उनको बंदी बनाया :
जेम्स ने यह आदेश दिया था कि प्रत्येक रविवार को पादरियों द्वारा चर्च में से उसकी धार्मिक घोषणाएं प्रार्थना के अवसर पर पढ़ी जाये। इसका तात्पर्य पादरी या तो अपने धर्म और मत के विरुद्ध घोषणा को पढ़े या राजा की आज्ञा का उल्लंघन करे| इस पर केंटबरी के आर्कविशप ने 6 साथियों के साथ जेम्स को एक पत्र लिखा और  निवेदन किया कि वह अपनी आज्ञा को निरस्त  कर दे और पुराने नियमों को भंग करने की  नीति को त्याग दे। इससे कुपित होकर जेम्स  ने पादरियों को बंदी बनाकर उन पर मुकदमा चलाया परन्तु न्यायालय ने उनको दोषमुक्त कर दिया। इससे जनता और सेना में जेम्स से के प्रति विरोध उत्पन्न हो गया।

 10.कोर्ट ऑफ हाई कमीशन की स्थापना:

जेम्स ने 1686 में कोर्ट ऑफ हाई कमीशन को पुन: स्थापित किया जिसके अन्तर्गत कैथोलिक धर्म की अवहेलना करने वालों पर मुकदमा चलाकर उनको दण्डित किया जाता था। 




क्रांति का महत्व/ परिणाम(Importance / result of revolution)


जेम्स द्वितीय की पहली पत्नी की मेरी नामक एक पुत्री हुई वह प्रोटेस्टेंट थी तथा हालैण्ड के राजकुमार विलियम को ब्याही थी वह भी प्रोटेस्टेंट था। इंग्लैण्डवासियों को विश्वास था कि वही इंग्लैण्ड की शासिका  बनेगी। अतः जेम्स के अत्याचारों से त्रस्त होकर मेरी और विलियम को बुलाया तथा उनके सम्मुख कुछ शर्ते रखी जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया तथा इसके साथ ही 13  फरवरी, 1689 को विलियम तथा मेरी संयुक्त रुप से इंग्लैण्ड के राजसिंहासन पर आसीन हुए।

1. स्टुअर्ट और संसद के बीच संघर्ष का अंत : इस क्रांति से स्टुअर्ट और संसद के बीच दीर्घकाल से चले आ रहे संघर्ष का अंत हो गया और अंत में संसद की विजय हुई और वास्तविक शासक संसद बन गई।

2.सम्प्रभुता संसद में निहित : क्रांति के समय संसद ने ‘बिल ऑफ राइट्स’ पारित  कर उस पर विलियम और मेरी की स्वीकृति ले ली। इससे संसद की सम्प्रभुता स्वीकार कर ली गई और राजा की सर्वोच्च सत्ता समाप्त कर दी गई। जनता की सत्ता सर्वोपरि  मान ली गई।

3. दैवी अधिकारों की समाप्ति : इस क्रांति ने राजा के दैवीय अधिकारों को समाप्त कर दिया। संसद द्वारा पारित किसी कानून को निरस्त करने का राजा का अधिकार समाप्त हो गया। राजा अब संसद के अधिकारों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकता था।

4. संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना: क्रांति से पूर्व राजा सर्वोपरि था लेकिन क्रांति के  बाद राजा की स्वेच्छाचारिता समाप्त हो गई। उसके अधिकार संसद द्वारा नियंत्रित और सीमित कर दिये गये। अब इंग्लैण्ड में एक साथ वैधानिक राजतंत्र का युग आरंभ हुआ।

5. सेना पर संसद का अधिकार : क्रांति से पूर्व सेना और उसके अधिकार राजा के अधीन थे। अब संसद ने विद्रोह अधिनियम पारित कर सेना पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। इससे राजा की सैन्य शक्ति समाप्त  हो गई तथा सेना में व्याप्त अव्यवस्था भी दूर थे गई।

6. कैथोलिक खतरे का अंत और इंग्लैण्ड का धर्म एंग्लिकन : बिल ऑफ राइट्स में यह स्पष्ट कर दिया गया कि कोई भी कैथोलिक राजा जिसका विवाह कैथोलिक  से हुआ हो राजसिंहासन पर नहीं बैठेगा इस प्रकार  इंग्लैण्ड सदा के लिए कैथोलिक  खतरे से मुक्त हो गया तथा यह स्पष्ट कर दिया गया कि एग्लिकन धर्म इंग्लैण्ड का वास्तविक धर्म है। चर्च पर से राजा के अधिकारों का अंत कर दिया गया।

7. संसद द्वारा गृह और विदेश नीति का निर्धारण: पहले गृह और विदेश नीति का का निर्धारण राजा करता था किन्तु क्रांति के बाद गृह और विदेश नीति का निर्धारण संसद के परामर्श और स्वीकृति से किया जाने लगा। इससे इंग्लैण्ड की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई और उसके औपनिवेशिक साम्राज्य का विस्तार हुआ।

8.यूरोप की राजनीति पर प्रभाव: इंग्लैण्ड  की इस शानदार क्रांति का प्रभाव यूरोप के देशों पर भी पड़ा। अब तक यूरोप में निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासन था परन्तु इस क्रांति के कारण यूरोप में भी लोकतंत्र और वैज्ञानिक राजतंत्र के लिए आन्दोलन प्रारंभ हुए।


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अक्तूबर 26, 2019

महाजनपद काल से सम्बंधित सामान्य ज्ञान हिंदी में प्रश्न एवं उत्तर (General Knowledge questions and answers related to Mahajanapada period)

महाजनपद काल से सम्बंधित सामान्य ज्ञान हिंदी में प्रश्न एवं उत्तर(General Knowledge questions and answers related to Mahajanapada period)




प्रश्न.   हर्यक वंश के किस शासक को ‘कुणिक’ कहा जाता था?
  
उत्तर.   अजातशत्रु
 
प्रश्न.   किस शासक ने गंगा एवं सोन नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की?
    
उत्तर. उदयिन
     
 
प्रश्न. शिशुनाग वंश का वह कौन सा शासक था, जिसके समय मे वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया, उसे ‘काकवर्ण’ के नाम से भी जाना जाता है?
  
उत्तर. कालाशोक
    
 
प्रश्न.  323 ई. पू. में सिकंदर महान की मृत्यु कहा हुई थी?

उत्तर.  बेबीलोन
 
प्रश्न.  किस प्रकार का मृदभांड (पॉटरी) भारत में द्वितीय नगरीकरण / शहरीकरण के प्रारंभ का प्रतीक माना गया?

उत्तर. उत्तरी काले पॉलिशकृत बर्तन
      
प्रश्न.  पालि ग्रंथों में गांव के मुखिया को क्या कहा गया है?

उत्तर.  भोजक/ ग्राम भोजक

प्रश्न.   सिकंदर महान एवं पोरस / पुरु की सेनाओं ने निम्नलिखित में से किस नदी के आमने सामने वाले तटों पर पड़ाव डाला हुआ था?

उत्तर. झेलम

प्रश्न.  उज्जैन का प्राचीन नाम क्या था?
     
उत्तर.  अवन्तिका

प्रश्न.  नंद वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर.   महापद्यनंद

प्रश्न. ग्रीक / यूनानी लेखकों द्वारा किसे ‘अग्रमीज’ / ‘जैन्ड्रमीज’ कहा गया?

उत्तर.  घननंद

प्रश्न.  प्राचीन भारत में पहला विदेशी आक्रमण किनके द्वारा किया गया?

उत्तर.   ईरानियों द्वारा
 
प्रश्न. प्राचीन भारत में दूसरा विदेशी आक्रमण एवं पहला युरोपीय आक्रमण किनके द्वारा किया गया?

उत्तर.  यूनानियों द्वारा
 

प्रश्न.  ईरान के हखमनी वंश के किस शासक ने भारतीय भू-भाग को जीतने के बाद उसे फारस साम्राज्य का 20वां प्रांत (क्षत्रपी) बनाया?
    
उत्तर.  डेरियस / दारयबाहु-I

प्रश्न. हाइडेस्पस या वितस्ता (आधुनिक नाम-झेलम) का युद्ध (326 B.C.) किन-किन शासकों के बीच हुआ?
 
उत्तर.  सिकंदर एवं पोरस के मध्य
 
प्रश्न.  सिकंदर ने भारत पर कब आक्रमण किया?
   
उत्तर.  326 ई.पू.
   
प्रश्न.  मगध की प्रथम राजधानी कौन सी थी?

उत्तर. गिरिव्रज / राजगृह
 
प्रश्न. किस शासक द्वारा सर्वप्रथम पाटलिपुत्र का राजधानी के रूप में चयन किया गया?

उत्तर.  उदयिन
     
प्रश्न.  सोलह महाजनपदों की सूची उपलब्ध है?

उत्तर.  अंगुत्तर निकाय में

प्रश्न.  निम्नलिखित में से मगध का कौन-सा राजा सिकंदर महान का समकालीन था?

उत्तर.  घननंद
  
  प्रश्न. प्रथम मगध साम्राज्य का उत्कर्ष किस सदी में हुआ था?
 
उत्तर.  छठी सदी ई०पू०
  
प्रश्न.  अभिलेखीय साक्ष्य से प्रकट होता है कि नंद राजा के आदेश से एक नहर खोदी गयी थी-
  
उत्तर.  कलिंग में
 
प्रश्न.  पहला ईरानी शासक जिसने भारत के कुछ भाग को अपने अधीन किया था?

उत्तर.  डेरियस
 
प्रश्न.   मगध के राजा अजातशत्रु को सदैव किस गणराज्य के साथ युद्ध रहा?
   
उत्तर. वज्जि संघ (वैशाली)
  
प्रश्न.  वज्जि संघ के विरुद्ध मगध राज्य के किस शासक ने प्रथम बार ‘रथमूसल’ (एक ऐसा रथ जिसमें गदा जैसा हथियार जुड़ा था) तथा ‘महाशिलाकण्टक’ (पत्थर फेंकनेवाला एक युद्ध यंत्र) नामक गुप्त हथियारों का प्रयोग किया?
    
उत्तर.  अजातशत्रु

  प्रश्न. भारत में सिक्कों / मुद्रा का प्रचलन कब हुआ?

उत्तर. 600 ई०पू० में
 
  प्रश्न.  नंद वंश का अंतिम सम्राट् कौन था?

उत्तर.   घननंद
 
प्रश्न. निम्न राजाओं पर विचार कीजिए-

    1. अजातशत्रु 2. बिन्दुसार 3. प्रसेनजित

    इनमें से कौन कौन बुद्ध के समकालीन थे?
    
उत्तर.  1 और 3

प्रश्न.  छठी सदी ईसा पूर्व के दौरान बड़े राज्यों के उदय का मुख्य कारण क्या था?
  
उत्तर.  उत्तर प्रदेश और बिहार में व्यापक पैमाने पर लोहे का उपयोग
   
प्रश्न.  मगध सम्राट् बिम्बिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को किस राज्य के राजा की चिकित्सा के लिए भेजा था?

उत्तर. अवंति
  
  प्रश्न. किस शासक ने अवंति को जीतकर मगध का हिस्सा बना दिया?
 
उत्तर. शिशुनाग
    
प्रश्न.  किस मगध सम्राट ने अंग का विलय अपने राज्य में कर लिया?
  
    बिम्बिसार
   
प्रश्न.  शिशुनाग ने किस राज्य का विलय मगध साम्राज्य में नहीं किया?

उत्तर. काशी

प्रश्न.  काशी और लिच्छवी का विलय मगध साम्राज्य में किसने किया?

उत्तर.  अजातशत्रु
 

प्रश्न. सिकन्दर के आक्रमण के समय उत्तर भारत पर निम्नलिखित राजवंशों में किस एक का शासन था?
  
उत्तर.  नंद
 
प्रश्न. निम्नलिखित में कौन सा एक, ईसा पूर्व 6ठी सदी में, प्रारंभ में भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली नगर राज्य था?

उत्तर. मगध

प्रश्न.  निम्नलिखित में से किस राज्य में गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था नहीं थी?
 
उत्तर. मगध

 
प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे ‘सेनिया’ (नियमित और स्थायी सेना रखनेवाला) कहा जाता था?
    
उत्तर. बिम्बिसार
 
प्रश्न.  निम्नलिखित में से किसे ‘उग्रसेन’ (भयानक सेना का स्वामी) कहा जाता था?
   
उत्तर. महापद्यनंद
   
प्रश्न.  डेरियस (दारयबाहु)-I ने 516 B.C.में सिंधु के तटवर्ती भू-भाग को जीतकर उसे ईरान का 20वाँ क्षत्रपी (प्रांत) बनाया, उससे कितना राजस्व प्राप्त होता था?
     
उत्तर.  360 टैलेन्ट
  
प्रश्न.  निम्नलिखित में से कौन सिकंदर के साथ भारत आनेवाला इतिहासकार नहीं था?

उत्तर.  हेरोडोट्स

प्रश्न.  महाजनपद काल में श्रेणियों के संचालक को क्या कहा जाता था?
 
उत्तर. श्रेष्ठिन
 
प्रश्न.  ‘गृहपति’ का अर्थ क्या है?
        धनी किसान
  
प्रश्न. मगध के किस प्रारंभिक शासक ने राज्यारोहण के लिए अपने पिता की हत्या की एवं इसी कारणवश अपने पुत्र द्वारा मार गया?
 
उत्तर. अजातशत्रु
  
प्रश्न.  विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली में किसके द्वारा स्थापित किया गया?

उत्तर.  लिच्छवि

प्रश्न.   निम्न में से कौन एक बौद्ध ग्रंथ सोलह महाजनपदों का उल्लेख करता है?
    
उत्तर. अंगुत्तर निकाय
   

प्रश्न.  छठी शताब्दी ई. पू. का मत्स्य महाजनपद स्थित था?
    
उत्तर.  राजस्थान में
     

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अक्तूबर 16, 2019

पालवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी(Important general knowledge related to PAL dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi)

पालवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी(Important general knowledge related to PAL  dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi)

 

पालवंश

आठवी शताब्दी के मध्य में पालवंश की स्थापना से बंगाल के इतिहास में एक नवीन युग का सूत्रपात होता है । शशांक की मृत्यु (६३० ई.)के पश्चात लगभग एक शताब्दी तक बंगाल में अव्यवस्था एंव अराजकता व्याप्त रही जिससे दुःखी होकर वहाँ की जनता की स्वाभाविक प्रतिक्रिया स्वरूप गोपाल नामक एक वीर तथा साहसी व्यक्ति ने पाल वंश की स्थापना कर व्यवस्था स्थापित की ।




गोपाल (७५०-७७०ई.)


                गोपाल पाल वंश का संस्थापक जिसे अपना शासक बंगाल की जनता ने निर्वाचित किया था ।गोपाल ७५० ई. में शासक बना ।उसका पिता वप्पट तथा पितामह दयित विष्णु था ।

गोपाल ने साम्राज्य विस्तार उसने समुद्रतट तक विजय प्राप्त की । गोपाल ने बंगाल की अराजकता दूर कर सुदृढ़ शासन स्थापित किया ।

राज्य विस्तार के अतिरिक्त गोपाल ने बौद्ध धर्म तथा शिक्षा सुविधाओं के विस्तार का कार्य भी किया ।गोपाल ने ओदन्तपुरी (आधुनिक बिहार शरीफ) के निकट नालंदा -बिहार की स्थापना की ।

गोपाल ने २७ वर्ष तक शासन किया ।७७० ई. में गोपाल की मृत्यु हो गई ।




धर्मपाल (७७०-८१०ई.):-


                 गोपाल के बाद उसका पुत्र धर्मपाल ७७०ई.में सिंहासन पर बैठा ।धर्मपाल ने ४० वर्षो तक शासन किया ।

धर्मपाल ने कन्नौज के लिए त्रिदलीय संघर्ष में उलक्शा रहा । उसने कनूज की गद्दी से इन्द्रायुध को हराकर चक्रायुध को आसीन किया ।चक्रायुध को गद्दी पर बैठाने के बाद उसने एक भव्य दरबार का आयोजन किया तथा उत्तरापथ स्वामिन की उपाधि धारण की ।

धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी था ।उसने काफी मठ व बौद्ध बिहार बनवाये ।

                                  उसने भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था ।उसके देखभाल के लिए सौ गाँव दान में दिए थे ।

उल्लेखनीय है की प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एंव राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने धर्मपाल को पराजित किया था ।और ८१० ई. में उनकी मृत्यु हो गई ।




देवपाल (८१०-८५० ई.)


           धर्मपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठ ।इसने अपने पिता के अनुसार विस्ताखादि नीति का अनुसरण किया ।इसी के शासनकाल में अरब यात्री सुलेमान आया था ।

उसने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई ।उसने पूर्वोत्तर में प्रज्योतिषपुर ,उत्तर में नेपाल ,पूर्वी तट पर उड़ीसा तक विस्तार किया ।उसके शासनकाल में दक्षिण -पूर्व एशिया के साथ भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे ।

उसने जावा के शासक बालपुत्रदेव के आग्रह पर नालंदा में एक बिहार की देखरेख के लिए ५ गाँव अनुवाद में दिए ।

देवपाल ने ८५० ई. तक शासन किया था ।

देवपाल के बाद पाल वंश की अवन्ति प्रारम्भ हो गई ।

देवपाल के निम्न पल वंश के राजा हुए
  • शुर पाल महेन्द्रपाल (८५०-८५४ई)
  • विग्रह पाल (८५४--८५५ ई.)
  • नारायण पाल (८५५--९०८ई.)
  • राज्यों पाल (९०८--९४०ई.)
  • गोपाल -॥ (९४०--९६०ई.)
  • विग्रह पाल---॥ (९६०--९८८ ई.)
  • महिपाल (९८८--१०३८ई.):---११ वी सदी में महिपाल  प्रथम ने ९८८ ई --१०३८ ई. तक शासन किया ।महिपाल को पाल वंश का द्वितीय संस्थापक कहा जाता है ।उसने समस्त बंगाल और मगध पर शासन किया ।

          महिपाल के बाद पाल वंशक शासक निर्बल थे जिससे आंतरिक दवेशऔर सामंतो ने विद्रोह उतपन्न कर दिया


  • नाय पाल (१०३८-१०५५ ई.)
  • विग्रह पाल -३ (१०५५--१०७०ई.)
  • महिपाल -२ (१०७०-१०७५ई.)
  • शुरपाल-२ (१०७५-१०७७ई.)
  • रामपाल (१०७७ -११३०ई.)
  • कुमारपाल (११३०-११४०ई.)
  • गोपाल -३ (११४०-११४४ई.)
  • मदनपाल (११४४-११६२ई.)
  • गोविन्द पाल (११६२-११७४ई.)

                       इस तरह ११७४ई. के बाद पाल वंश पूरी तरह सफाया हो गया ।और इसके बाद सेन राजवंश ने बंगाल पर १६०वर्ष तक राज किया ।

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अक्तूबर 16, 2019

नंद वंशराजवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Nanda dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi)

नंद वंश  से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी(Important general knowledge related to Nanda dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi)

 

 

नंद वंश

 

नंद वंश मगध, बिहार का लगभग 343 – 321 ई.पू. के बीच का शासक वंश था, जिसका आरंभ महापद्मनंद से हुआ था।

नंद शासक मौर्य वंश के पूर्ववर्ती राजा थे। मौर्य वंश से पहले के वंशों के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं है और जो है वो तथ्य और किंवदंतियों का मिश्रण है।

स्थानीय और जैन परम्परावादियों से पता चलता है कि इस वंश के संस्थापक महापद्म, जिन्हें महापद्मपति या उग्रसेन भी कहा जाता है, समाज के निम्न वर्ग के थे।

यूनानी लेखकों ने भी इस की पुष्टि की है।

महापद्म ने अपने पूर्ववर्ती शिशुनाग राजाओं से मगध की बाग़डोर और सुव्यवस्थित विस्तार की नीति भी जानी। उनके साहस पूर्ण प्रारम्भिक कार्य ने उन्हें निर्मम विजयों के माध्यम से साम्राज्य को संगठित करने की शक्ति दी।

पुराणों में उन्हें सभी क्षत्रियों का संहारक बतलाया गया है। उन्होंने उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत स्थित इक्ष्वाकु, पांचाल, काशी, हैहय, कलिंग, अश्मक, कौरव, मैथिल, शूरसेन और वितिहोत्र जैसे शासकों को हराया। इसका उल्लेख स्वतंत्र अभिलेखों में भी प्राप्त होता है, जो नन्द वंश के द्वारा गोदावरी घाटी- आंध्र प्रदेश, कलिंग- उड़ीसा तथा कर्नाटक के कुछ भाग पर कब्ज़ा करने की ओर संकेत करते हैं।


महापद्म के बाद पुराणों में नंद वंश का उल्लेख नाममात्र का है, जिसमें सिर्फ सुकल्प (सहल्प, सुमाल्य) का ज़िक्र है, जबकि बौद्ध महाबोधिवंश में आठ नामों का उल्लेख है। इस सूची में अंतिम शासक धनानंद का उल्लेख संभवत: अग्रामी या जेन्ड्रामी के रूप में है और इन्हें यूनानी स्त्रोतों में सिकंदर महान का शक्तिशाली समकालीन बताया गया है।

इस वंश के शासकों की राज्य-सीमा व्यास नदी तक फैली थी। उनकी सैनिक शक्ति के भय से ही सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था।

कौटिल्य की सहायता से चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई. पूर्व में नंदवंश को समाप्त करके मौर्य वंश की नींव डाली।

इस वंश में कुल नौ शासक हुए – महापद्मनंद और बारी-बारी से राज्य करने वाले उसके आठ पुत्र।

इन दो पीढ़ियों ने 40 वर्ष तक राज्य किया।

इन शासकों को शूद्र माना जाता है।

नंद वंश का संक्षिप्त शासनकाल मौर्य वंश के लंबे शासन के साथ प्रारंभिक भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण संक्रमण काल को दर्शाता है।

गंगा नदी में (छठी से पांचवी शताब्दी ई.पू.) भौतिक संस्कृति में बदलाव आया, जिसका विशेष लक्षण कृषि में गहनाता और लौह तकनीक का बढता इस्तेमाल था। इससे कृषि उत्पादन में उपयोग से अधिक वृद्धि हुई और वाणिज्यिक और शहरी केंद्रों के विकास को बढ़ावा मिला।

इस परिप्रेक्ष्य में यह बात महत्त्वपूर्ण है कि कई स्थानीय और विदेशी स्त्रोतों में नंद राजाओं को बहुत समृद्ध और विभिन्न प्रकार के करों की वसूली में निर्दयी के रूप में चित्रित किया गया है।

सिकंदर के काल में नंद की सेना में लगभग 20,000 घुड़सवार, 2,00,000 पैदल सैनिक, 2000 रथ और 3000 हाथी। प्रशासन में नंद राज्य द्वारा उठाए गए क़दम कलिंग (उड़ीसा) में सिचाई परियोजनाओं के निर्माण और एक मंत्रिमंडलीय परिषद के गठन से स्पष्ट होते

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अक्तूबर 16, 2019

मौखरि राजवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Maukhari dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)

मौखरि राजवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी(Important general knowledge related to Maukhari dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)

 

 

 

मौखरि राजवंश


मौखरि वंश की स्थापना उत्तर गुप्तकाल के पतन के बाद हुई थी। गया ज़िले के निवासी मौखरि लोग चक्रवर्ती गुप्त राजवंश के समय में उत्तर गुप्तवंश के लोगों की तरह ही सामन्त थे। इस वंश के लोग जो अधिकतर उत्तर प्रदेश के कन्‍नौज में और राजस्थान के बड़वा क्षेत्र में फैले हुए थे, तीसरी सदी में इनका प्रमाण मिलता है।

मौखरि वंश के राजाओं का उत्तर गुप्तवंश के चौथे शासक कुमारगुप्त के साथ युद्ध हुआ था, इस युद्ध में ईशानवर्मा ने मौखरि वंश के शासकों से मगध प्रदेश को छीन लिया था।

मौखरि वंश के शासकों ने अपनी राजधानी कन्‍नौज बनाई और शासन किया।
कन्‍नौज का प्रथम मौखरि वंश का शासक हरिवर्मा था। हरिवर्मा ने 510 ई. में शासन किया था। उसका वैवाहिक सम्बन्ध उत्तरवंशीय राजकुमारी हर्ष गुप्त के साथ हुआ था।

ईश्वरवर्मा का विवाह भी उत्तर गुप्तवंशीय राजकुमारी उपगुप्त के साथ हुआ था। इनका शासन कन्‍नौज तक ही सीमित रहा, ये उसका विस्तार नहीं कर पाये।
यह राजवंश तीन पीढ़ियों तक शासक रहा।

हरदा से प्राप्त लेख से यह स्पष्ट होता है कि सूर्यवर्मा ईशानवर्मा का छोटा भाई था।

अवंतिवर्मा इस वंश का सबसे शक्‍तिशाली तथा प्रतापी राजा था और इसके बाद ही मौखरि वंश का अन्त हो गया।

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अक्तूबर 16, 2019

इल्बारी वंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Ilbari dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)

इल्बारी वंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी(Important general knowledge related to Ilbari dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)



इल्बारी वंश

इल्बारी वंश की स्थापना इल्तुतमिश (1210- 1236 ई.) ने की थी, जो एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध इल्तुतमिश की कार्य कुशलता से प्रभावित होकर मुहम्मद ग़ोरी ने उसे “अमीरूल उमर” नामक महत्त्वपूर्ण पद प्रदान किया था।

अकस्मात् मुत्यु के कारण कुतुबद्दीन ऐबक अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः लाहौर के तुर्क अधिकारियों ने कुतुबद्दीन ऐबक के विवादित पुत्र आरामशाह, जिसे इतिहासकार नहीं मानते, को लाहौर की गद्दी पर बैठाया।

दिल्ली के तुर्क सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश, जो उस समय बदायूँ का सूबेदार था, को दिल्ली आमंत्रित कर राज्यसिंहासन पर बैठाया गया।

राजगद्दी पर अधिकार को लेकर आरामशाह एवं इल्तुतमिश के बीच दिल्ली के निकट ‘जड़’ नामक स्थान पर संघर्ष हुआ, जिसमें आरामशाह को बन्दी बनाया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गयी।

ऐबक वंश के आरामशाह की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत में अब ‘इल्बारी वंश’ का शासन प्रारम्भ हुआ।
“”निज़ामशाही वंश””

निज़ामशाही वंश का आरम्भ जुन्नर में 1490 ई. में अहमद निज़ामशाह (मलिक अहमद) के द्वारा हुआ, जिसने तत्कालीन बहमनी शासक सुल्तान महमूद (1482 से 1518) के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उसने निज़ामशाह की उपाधि धारण की और उसके द्वारा प्रवर्तित ‘निज़ामशाही वंश’ 1490 से 1637 ई. तक राज्य करता रहा।

साम्राज्य विस्तार

निज़ामशाही सुल्तानों ने 1499 में दौलताबाद के विशाल क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके पश्चात् 1637 ई. में सम्राट शाहजहाँ के राज्यकाल में उसे जीतकर मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया गया। 1574 ई. में इस वंश ने बरार पर भी अधिकार कर लिया था, परन्तु 1596 ई. में उसे बरार को मुग़ल सम्राट अकबर को दे देना पड़ा।


इस वंश के तृतीय शासक हुसेनशाह ने विजयनगर राज्य के विरुद्ध दक्षिण के मुसलमान राज्यों के गठबंधन में भाग लिया था और 1565 ई. के तालीकोट के युद्ध में विजय प्राप्त करने के उपरान्त विजयनगर के लूटने में भी पूरा हाथ बँटाया। चाँदबीबी, जो मुग़लों के विरुद्ध अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध हुई, निज़ामशाही वंश के सुल्तान हुसैन निज़ामशाह प्रथम (1553 से 1565 ई.) की पुत्री थी। निज़ामशाही वंश का आधुनिक काल में अवशिष्ट स्मारक ‘भद्रमहल’ है, जो सफ़ेद पत्थरों से निर्मित है और अपनी जीर्णदशा में अहमदनगर में विद्यमान है।

शासकों के नाम
अहमद निज़ामशाह (1490 – 1506 ई.)
बुरहान निज़ामशाह प्रथम (1510 – 1553 ई.)
हुसैन निज़ामशाह प्रथम (1553 – 1565 ई.)
मुर्तज़ा निज़ामशाह प्रथम (1565 – 1583 ई.)
हुसैन निज़ामशाह द्वितीय (1583 – 1589 ई.)
इस्माइल निज़ामशाह (1589 – 1591 ई.)
बुरहान निज़ामशाह द्वितीय (1591 – 1595 ई.)
इब्राहिम निज़ामशाह (1595 – 1609 ई.)
मुर्तज़ा निज़ामशाह द्वितीय (1609 – 1630 ई.)
बुरहान निज़ामशाह तृतीय (1630 – 1632 ई.)
हुसैन निज़ामशाह तृतीय (1632 – 1636 ई.)


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अक्तूबर 16, 2019

मौर्य राजवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Maurya dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)

मौर्य राजवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Maurya dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)


मौर्य राजवंश



मौर्य राजवंश (322-185 ईसा पूर्व) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। इसने 137 वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री आचार्य चाणक्य को दिया जाता है, जिन्होंने नंदवंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरू हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फ़ायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। उसने यूनानियों को मार भगाया। सेल्यूकस को अपनी कन्या का विवाह चंद्रगुप्त से करना पड़ा। मेगस्थनीज इसी के दरबार में आया था।




चंद्रगुप्त की माता का नाम मुरा था। इसी से यह वंश मौर्यवंश कहलाया। चंद्रगुप्त के बाद उसके पुत्र बिंदुसार ने 298 ई.पू. से 273 ई. पू. तक राज्य किया। बिंदुसार के बाद उसका पुत्र अशोक273 ई.पू. से 232 ई.पू. तक गद्दी पर रहा। अशोक के समय में कलिंग का भारी नरसंहार हुआ जिससे द्रवित होकर उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था । अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। अशोक के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। इस वंश के अंतिम राजा बृहद्रथ मौर्य था। 185 ई.पू. में उसके सेनापति पुष्यमित्र ने उसकी हत्या कर डाली और शुंगवंश नाम का एक नया राजवंश आरंभ हुआ।



शासकों की सूची



चन्द्रगुप्त मौर्य------322 ईसा पूर्व- 298 ईसा पूर्व

बिन्दुसार------297 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व

अशोक------273 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व

दशरथ मौर्य------232 ईसा पूर्व- 224 ईसा पूर्व

सम्प्रति------224 ईसा पूर्व- 215 ईसा पूर्व

शालिसुक------215 ईसा पूर्व- 202 ईसा पूर्व

देववर्मन्------ 202 ईसा पूर्व -195 ईसा पूर्व

शतधन्वन् मौर्य------ 195 ईसा पूर्व 187 ईसा पूर्व

बृहद्रथ मौर्य------187 ईसा पूर्व- 185 ईसा पूर्व


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अक्तूबर 16, 2019

राष्ट्रकूट वंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Rashtrakuta dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)

राष्ट्रकूट वंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी (Important general knowledge related to Rashtrakuta dynasty useful for all competitive examinations in Hindi)




राष्ट्रकूट वंश

राष्ट्रकूट वंश की शक्ति की नीव डालने वाले "दन्तिदुर्ग" नामक सामंत था ।उसने अपने स्वामी चलुक्य राजा कितिवर्मन को परास्त करके दक्षिण के बड़े भाग पर अधिकार जमा लिया । भड़ौच के पास गुर्जर राज्य को भी उसने जीत लिया और प्रतिहारों से मालवा छीन लिया ।कहा जाता है की दन्तिदुर्ग ने काची के पल्ल्वो को भी परास्त किया ।

  दन्तिदुर्ग के बाद उसका चाचा "कृष्ण" गद्दी पर बैठा जिसकी ज्ञात तिथि 758 ई. है ।कृष्ण ने चालुक्यों की सत्ता को पूर्णतः नष्ट कर दिया ।उसने मैसूर के गंग तथा वेंगी के पूर्वी चालुक्य को भी पराजित किया ।लगभग ७७३ई. में इस यशस्ति राजा की मृत्यु हो गई ।कृष्ण की विजयो से राष्ट्रकूट साम्राज्य काफी विस्तृत हो गया ।कृष्ण एक विजेता के रूप में ही नही बल्कि महान भवन निर्माता कैलाश मंदिर बनवाया गया ।

कृष्ण प्रथम की मृत्यु के बाद लगभग 773 ई. में उसका पुत्र "गोविन्द"  राजा बना ।प्रारम्भ में कुछ सक्रिय रहने के बाद वह विलासी और लंपट बन गया ।उसने शासन का कार्य अपने अनुज "ध्रुव" पर छोर दिया ।ध्रुब ने विद्रोह करके लगभग 780  ई. में गद्दी पर कब्जा कर लिया ।

"ध्रुव" राष्ट्रकूट वंश का शक्तिशाली राजा हुआ ।उसने मैसूर, वेंगी,कन्नौज ,और बंगाल के राजाओ को परास्त किया ।दक्षिण में अपनी प्रभुता स्थापित करके उसने उत्तर भारत की ओर मुख मोड़ा।वह अवन्ति के वतसराज और बंगाल के धर्मपाल के बीच कन्नौज प्रभुता के लिए संघर्ष चल रहा था ।ऐसे समय ध्रुव ने आक्रमण करके वतसराज को इतनी बुरी तरह हराया की वह राजस्थान के मरुप्रदेश से भाग गया ।इसके बाद ध्रुव ने पाल नरेश को पराजित किया ।यधपि उत्तरी भारत पर ध्रव की विजयो का कोई स्थायी प्रभाव नही पड़ा,तथापि सम्पूर्ण भारत में उसकी शक्ति की धाक जम गई ।

राष्ट्रकूट वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा "गोविन्द तृतीय" हुआ जो ध्रुव का पुत्र था ।उसने लगभग 793 ई. से 814 ई. तक राज्य किया ।मैसूर और पल्लव राजा को परास्त करके सारे दक्षिण भारत को उसने जीत लिया ।गोविन्द के भाई ने 12  सामंत राजाओ की सहायता उसके विरुद्ध विद्रोह किया ,पर गोविन्द ने उसे पराजित करके बंदी बना लिया ।भी के पश्चात्ताप करने पर गोविन्द न केवल उसे छोड़ ही दिया वरन गंगा राज्य में राज्य -प्रतिनिधि बनाकर भेज दिया ,पर उसने पुनः विद्रोह किया और उसे फिर हराकर बंदी बनाना पड़ा ।दक्षिण भारत को विजय करने के बाद गोविन्द तृतीय उत्तर की तरफ बढ़ा ।गोविन्द तृतीय का राज्य कन्नौज ,बनारस और भड़ौच से लेकर निचे के सारे दक्षिण में फैल गया ।

दक्षिण भारत में गोविन्द की अनुपस्ति का लाभ उठाकर चोल ,केरल ,पाण्ड्य ,काची और गंगवारी के राजाओ ने उनके विरुद्ध संघ बनाया ।लेकिन गोविन्द ने उनकी सयुक्त शक्ति को धूल चटा दिया ।गोविन्द की इन विजयो से दरकार लंका के राजा ने उपहार भेजकर उसे प्रसन्न करने का प्रयास किया ।इस महान सम्राट की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे राष्ट्रकूट वंश की शक्ति घटने लगी ।

गोविन्द तृतीय के बाद 814 ई.में उसका पुत्र "अमोघवर्ष" राजा बना जिसने 878 ई. तक शासन किया ।उसके समय में चालुक्यों ने विद्रोह किया ,किन्तु उन्हें परास्त होना पड़ा ।अमोघवर्ष के समय में मैसूर राष्ट्रकूटों के हाथ से निकल गया ।उसका गंगो से भी वर्षो तक संघर्ष चलता रहा ,पर अंत में उसने गंगा नरेश से अपनी पुत्री का विवाह करके संघर्ष समाप्त किया ।अमोघवर्ष ने मान्यखेत नामक नगर बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाया ।इस मान्यखेत को ही आजकल मालखेर कहते है जो शोलापुर से लगभग ९० मिल दक्षिण-पूर्व में है ।लगभग ६४ वर्ष तक राज्य करने बाद अमोघवर्ष की मृत्यु हो गई ।यधपि वह एक बहुत बड़ा योद्धा नही था,तथापि उसने राष्ट्रकूट सामाज्य को संकटो से बहुत उबारा ।


अमोघवर्ष के बाद 878 ई. में उसका पुत्र "कृष्ण द्वितीय" राजा हुआ जिसके समय वेंगी के चालुक्यों से निरंतर युद्ध चलता रहा ।चालुक्यों को प्रारम्भिक संघर्षो में हराने बाद उसने बाजी मार ली ।उसका चोलो से भी युद्ध हुआ किन्तु उसने हार हुई ।914 ई. में कृष्ण की मृत्यु हो गई ।

कृष्ण तृतीय उत्तराधिकारी "इंद्र तृतीय" ने भी साहस और कुशलता का परिचय दिया ।उसने प्रतिहार राजा महिपाल को परास्त किया तथा कन्नौज को लूटा ।पूर्व चालुक्य नरेश विजयादित्य पंचम भी उसके हाथो मार गया ।९२२ ई. में उसकी अकाल मृत्यु के उपरान्त राष्ट्रकूट वंश का परामव नजदीक आ गया ।उसके बाद की राजा हुए जिनके राजयकाल में युद्ध चलते रहे ।

"कृष्ण तृतीय" इस वंश का अंतिम महान शासक हुआ जो 939 ई.में गद्दी पर बैठा ।उसने कांची और तंजोर पर अधिकार कर लिया ।कहा जाता है की कृष्ण तृतीय ने रामेश्वरम तक विजयपताका फहराई और एक विजय स्तम्भ खड़ा किया ।उत्तर में उसने उज्जैन को जीता और बुंदेलखंड तक घावे मारे ।कृष्ण तृतीय को उत्तर में चाहे विशेष सफलता न मिली हो ,पर सम्पूर्ण दक्षिण भारत में उसने अपनी निश्चित रूप से प्रभुता स्थापित कर दी ।

कृष्ण तृतीय के बाद 967 ई. उसका अनुज खोट्टिग राजा बना ।परमार नरेश सीयक से उसका भीषण युद्ध हुआ  ।विजयी सिंयक ने 972 ई. में राष्ट्रकूटों की राजधानी को दिल खोलकर लूटा  ।इस अपमान से अघात से खोट्टिक की शीघ्र ही मृत्यु हो गई ।  

तत्प्श्चात उसका भतीजा "कई द्वतीय" राजा बना ,किन्तु वह पतनोन्मुख राष्ट्रकूट साम्राज्य को बचा न सका।973 ई में उसके एक सामंत तैलप ने ,जो चलुक्य वंश का था ;हराकर दक्षिणापथ पर कब्जा कर लिया ।


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अगस्त 25, 2018

भारत के पुराने इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर(Important questions and answer related to India's old history)

भारत के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न





1. चीनी यात्री ह्नेनसांग सर्वप्रथम किस भारतीय राज्य पहुँचा ?

उत्तरकपिशा


2. सर्वप्रथम भारतवर्ष का जिक्र किस अभिलेखा में मिला है ?

उत्तरहाथी गुंफा अभिलेख में


3. अभिलेखों का अध्ययन क्या कहलाता है ?

उत्तरइपीग्राफी


4. सिंधु सभ्यता के लोग किस क्षेत्र के निवासी थे ?

उत्तरभूमध्यसागरीय


5. गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश सबसे अधिक किस स्थान पर दिए  ?

उत्तरश्रावस्ती में


6. सिकंदर किसका शिष्य था ?

उत्तरअरस्तू का


7. सिकंदर का सेनापति कौन था  ?

उत्तरसेल्यूकस निकेटर


8. पुष्यमित्र किस धर्म का समर्थक था ?

उत्तरब्राह्मण धर्म का


9. बेसनगर में स्थित गरुण स्तंभ का निर्माण किसने कराया ?

उत्तरहेलियोडोर ने


10. गार्गी संहिता क्या है ?

उत्तरज्योतिष ग्रंथ


11. ‘गार्गी संहिता’ की रचना किसने की ?

उत्तरकात्यायन ने



12. कुषाण वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तरकुजुला कडफिसेस






13.कनिष्क को शासन कब प्राप्त हुआ ?

उत्तर: 78 .


14. भारत में शिलालेखों का प्रचलन किसने कराया ?

उत्तरअशोक ने


15पुराणों में अशोक को क्या कहा गया है ?

उत्तरअशोक वर्धन


16. ‘भरहूत स्तूप’ का निर्माण किसने कराया ?

उत्तरपुष्यमित्र शुंग ने


17. रेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार सर्वप्रथम किस देश में हुआ ?

उत्तरचीन में



18. गुप्त वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तरश्रीगुप्त


19मंदिर बनाने की कला का जन्म किस काल में हुआ ?

उत्तरगुप्त काल में           


20. भारतीय इतिहास का कौन-सा स्त्रोत प्राचीन भारत के व्यापारिक
मार्गों पर मौन है ?

उत्तरमिलिंद पान्हो






21. सर्वप्रथम भारत को इंडिया किसने कहा ?

उत्तरयूनानवासियों ने



         
 22. मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में किसके शासनकाल का वर्णनकिया है ?

उत्तरचंद्रगुप्त मौर्य


23. ‘प्रिय दर्शिका नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना किस शासक ने की ?

उत्तरहर्षवर्धन ने




24. नागनंदा’ नामक संस्कृतनटक की रचना किस शासक ने की ?

उत्तरहर्षवर्धन ने


25. अजंता की गुफा किस धर्म से संबंधित है ?

उत्तरबौद्ध धर्म से


26. सुरदर्शन झील का पुर्नोद्धार किसने कराया ?

उत्तरस्कंधगुप्त ने



27. पुष्यभूति वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तरपुष्यभूतिवर्धन


28. पुष्यभूति वंश का सबसे प्रतापी राजा कौन था ?

उत्तरहर्षवर्धन


29. हर्षवर्धन गद्दी पर कब बैठा ?

उत्तर: 606 .


30. हर्षवर्धन के समय नालंदा विश्वविद्यालय का कुलपति कौन था ?

उत्तरशीलभद्र




31. किस अभिलेख में हर्षवर्धन को परमेश्वर कहा गया है ?

उत्तरमधुबन  बाँसखेड़ा अभिलेखों में


32. कश्मीर का इतिहास किस ग्रंथ में है ?

उत्तरराजतरंगिणी


33. राजतरंगिणी नामक ग्रंथ किसने लिखा ?

उत्तरकल्हण ने


34. एरण अभिलेख का संबंध किस शासक से है ?

उत्तरभानुगुप्त से


35. चीनी यात्री फाह्यान किसके शासन काल में भारत आया ?

उत्तरचंद्रगुप्त द्वितीय






36. भारतीय संस्कृति का स्वर्ण युग किस युग को कहा जाता है ?

उत्तरगुप्त युग को


37. ‘सेतुबंध’ की रचना किस वंश के शासक ने की ?

उत्तरवाकाटक


38. किस गुप्तकालीन शासक को कविराज कहा गया है  ?

उत्तरसमुद्रगुप्त


39. कोकार्कोट वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तरदुर्लभर्वन


40. ‘अवंतिनगर’ नामक नगर को किस शासक ने बसाया ?

उत्तरअवंतिवर्मन ने


41. कार्कोट वंश के बाद किस वंश का उदय हुआ ?

उत्तरउत्पल वंश


42. सर्वप्रथम हर्षवर्धन ने कन्नौज में बौ धर्म सभा का आयोजन कब किया ?

उत्तर: 643 .



43. हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर किसका शासन हुआ ?

उत्तरयशोवर्मन


44. गुप्त वंश के किस शासक ने ‘महाधिराज’ की उपाधि धारण की ?

उत्तरचंद्रगुप्त प्रथम ने




प्राचीन भारत का इतिहास:-


45. गुप्तवंश की स्थापना कब हुई ?

उत्तर: 319 .







46. गुप्त वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तरचंद्रगुप्त I द्वारा


47. ह्नेनसांग की रचना की क्या नाम है ?

उत्तरसी-यूकी


48. कौन-सा गुप्त शासक भारतीय नेपोलियन के नाम से प्रसिद्ध था

उत्तरसमुद्रगुप्त


49. कालीदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र नाटक का नायक कौन    था ?

उत्तरअग्निमित्र


50. स्कंदगुप्त को किस लेख से ‘शक्रोपम’ कहा गया है ?

उत्तरकहौमस्तम लेख



51. गुप्त काल के सबसे लोकप्रिय देवता कौन थे ?

उत्तर: विष्णु



52. दिल्ली में स्थित ‘लौह स्तंभ किस सदी में निर्मित हुआ ?

उत्तरचौथी सदी में



53. ‘अमरकोष’ नामक ग्रंथ की रचना किसने की और वे किस शासक से जुड़ेथे ?

उत्तरअमर सिंह ने,चंद्रगुप्त II से



54. हरिषेण किसका राजदरबारी कवि था ?

उत्तरसमुद्रगुप्त का




54. गुप्त काल की सोने की मुद्रा को क्या कहा जाता था ?

उत्तरदीनार


55. ‘कुमारसंभव’ महाकाव्य को किसने रचा ?

उत्तर: कालीदास


56. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किस युग में हुई

उत्तर: गुप्त युग में


57. गुप्त युग में भू-राजस्व की दर क्या थी

उत्तर: उपज का छठा भाग


58. नगरों का क्रमिक पतन किस युग की विशेषता थी ?

उत्तर: गुप्त युग की


59. फाह्यान द्वारा लिखित ग्रंथ ‘फो-कुओ-की’ में किसका वर्णन मिलता है ?

उत्तर: बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का


60. किस वंश के शासकों ने मंदिरों और ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्रामअनुदान में दिए ?

उत्तर: गुप्त वंश


61. महरौली स्थित लौह स्तंभ किसकी स्मृति में है ?

उत्तर: चंद्रगुप्त II


62. समुद्रगुप्त की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन किस अभिलेख में है ? 

उत्तर: प्रयाग


63. बाल विवाह की प्रथा कब आरंभ हुई ?

उत्तर: गुप्त युग में


64. सर्वप्रथम कौन-सा ग्रंथ यूरोपीय भाषा में अनुदित/अनुवादित हुआ

उत्तर: अभिज्ञान शाकुंतलम्


65. सती प्रथा का प्रथम उल्लेख कहा से मिलता है ? 

उत्तर: एरण अभिलेख से



66. गुप्तकालीन सिक्कों का सबसे बड़ा ढेर कहाँ से प्राप्त हुआ

उत्तर: बयाना (भरतपुर)


67. किस गुप्त शासक को नालंदा विश्वविद्यालय का संस्थापक
माना जाता था

उत्तर: रूपक



68. कालीदास की कौनसी कृति की गिनती विश्व की सर्वाधिक प्रसिद्ध 100कृतियों में की जाती हैं ?

उत्तर: अभिज्ञान शाकुंतलम्


69. गणित की दशमलव प्रणाली के अविष्कार का श्रेय किसे दिया जाता है ?

उत्तर: मौर्य युग को


70. किस विद्धान ने गणित को एक पृथक विषय के रूप में स्थापित
किया ?

आर्यभट्ट


71. पालघाट मणि अय्यर प्रसिद्ध वादक थे 

उत्तर : मृदंगम के



72. गांधार शैली का संबंध है ?

उत्तर : मूर्तिकला



73. सांची के स्तूप किसकी कला तथा मूर्तिकला को निरूपित करते हैं  ?

उत्तर : बौद्धों की


74. `दयाभाग’ का लेखक कौन था  ?

उत्तर : जीमूतवाहन



75. `हिन्दी दिवस’ कब मनाया जाता है  ?

उत्तर : 14 सितम्बर








76. मुहम्मद पैगम्बर के जन्म दिवस पर कौन-सा पर्व मनाया जाता है ?

उत्तर : ईद--मिलादुलनवी



77. `खालसा पंथ’ की स्थापना की गयी थी ?

उत्तर : गुरू गोविन्द सिंह


78. तीर्थस्थल `कामाख्या’ किस राज्य में है  ?

उत्तर : असम



79. ताँबे के सिक्के जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक कौन था ?

उत्तर: रामगुप्त


80. मिहिरकूल का संबंध किससे था  ? 

उत्तर: हूण से


81. कौन-से गुप्त राजा ने विक्रमाद्वित्य की उपाधि ग्रहण की थी ?

उत्तर: चंद्रगुप्त II


82. किस गुप्त शासक ने दक्षिण में 12 राज्यों पर विजय प्राप्त की

उत्तर: समुद्रगुप्त ने



83. ‘सर्वराजोच्छेता’ की उपाधि किसने धारण की

उत्तर: समुद्रगुप्त ने


84. चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत् की स्थापना कब की ?

उत्तर: 319 .


85. गुप्त संवत् एवं शक संवत् में कितना अंतर है

उत्तर: 241 वर्ष



86. किस वंश के शासकों ने चाँदी की मुद्राओं का प्रचलन किया

उत्तर: गुप्त वंश के शासकों ने



87. गुप्तकाल में प्रमुख शिक्षा केंद्र कौन-से थे

उत्तर: पाटलिपुत्रउज्जयिनी



88. गुप्तवंश का अंतिम शासक कौन था ?

उत्तर: विष्णुगुप्त



89. ‘सूर्य सिद्धांत’ नामक ग्रंथ किसने लिखा ?

उत्तर :आर्यभट्ट ने


90. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई  ?

उत्तर: 415-454 .


91. संगम काल में कितनी रचनाओं का वर्णन है ?

उत्तर: 2289


92. संगम काल की प्रसिद्ध रचना कौन सी थी

उत्तर: तमिल व्याकरण ग्रंथ तोलकाप्पियम




93. ‘तोलकाप्पियम’ की रचना किसने की ?

उत्तर: तोल काप्पियर ने


94. चोल वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन-था ?

उत्तर: करिकाल


95. करिकाल गद्दी पर कब बैठा ?
उत्तर: 190 के लगभग


96. किस चोल वंश के शासक ने उद्योग धंधे  कृषिको प्रोत्साहन दिया

उत्तर: करिकाल ने


97. मानसून की खोज किसने की ?

उत्तर: मिस्त्र के नाविक हिप्पालस ने


98. गुप्तकाल की प्रसिद्ध पुस्तक ‘नवनीतकम्’ का संबंध किस क्षेत्र में है ?

उत्तर:  चिकित्सा के क्षेत्र से


99. चोल काल में सूती वस्त्र उद्योग का प्रमुख कौन-सा था ?

उत्तर: उरैयूर


100. सती होने का प्रमाण प्रथम बार कब मिला

उत्तर: 510 ई 


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