पालवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी(Important general knowledge related to PAL dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi) - GK Study

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पालवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ लिए उपयोगी(Important general knowledge related to PAL dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi)

पालवंश से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान हिंदी में सभी प्रतोयोगी परीक्षाओ   लिए उपयोगी(Important general knowledge related to PAL  dynasty; useful for all competitive examinations in Hindi)

 

पालवंश

आठवी शताब्दी के मध्य में पालवंश की स्थापना से बंगाल के इतिहास में एक नवीन युग का सूत्रपात होता है । शशांक की मृत्यु (६३० ई.)के पश्चात लगभग एक शताब्दी तक बंगाल में अव्यवस्था एंव अराजकता व्याप्त रही जिससे दुःखी होकर वहाँ की जनता की स्वाभाविक प्रतिक्रिया स्वरूप गोपाल नामक एक वीर तथा साहसी व्यक्ति ने पाल वंश की स्थापना कर व्यवस्था स्थापित की ।




गोपाल (७५०-७७०ई.)


                गोपाल पाल वंश का संस्थापक जिसे अपना शासक बंगाल की जनता ने निर्वाचित किया था ।गोपाल ७५० ई. में शासक बना ।उसका पिता वप्पट तथा पितामह दयित विष्णु था ।

गोपाल ने साम्राज्य विस्तार उसने समुद्रतट तक विजय प्राप्त की । गोपाल ने बंगाल की अराजकता दूर कर सुदृढ़ शासन स्थापित किया ।

राज्य विस्तार के अतिरिक्त गोपाल ने बौद्ध धर्म तथा शिक्षा सुविधाओं के विस्तार का कार्य भी किया ।गोपाल ने ओदन्तपुरी (आधुनिक बिहार शरीफ) के निकट नालंदा -बिहार की स्थापना की ।

गोपाल ने २७ वर्ष तक शासन किया ।७७० ई. में गोपाल की मृत्यु हो गई ।




धर्मपाल (७७०-८१०ई.):-


                 गोपाल के बाद उसका पुत्र धर्मपाल ७७०ई.में सिंहासन पर बैठा ।धर्मपाल ने ४० वर्षो तक शासन किया ।

धर्मपाल ने कन्नौज के लिए त्रिदलीय संघर्ष में उलक्शा रहा । उसने कनूज की गद्दी से इन्द्रायुध को हराकर चक्रायुध को आसीन किया ।चक्रायुध को गद्दी पर बैठाने के बाद उसने एक भव्य दरबार का आयोजन किया तथा उत्तरापथ स्वामिन की उपाधि धारण की ।

धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी था ।उसने काफी मठ व बौद्ध बिहार बनवाये ।

                                  उसने भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था ।उसके देखभाल के लिए सौ गाँव दान में दिए थे ।

उल्लेखनीय है की प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एंव राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने धर्मपाल को पराजित किया था ।और ८१० ई. में उनकी मृत्यु हो गई ।




देवपाल (८१०-८५० ई.)


           धर्मपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठ ।इसने अपने पिता के अनुसार विस्ताखादि नीति का अनुसरण किया ।इसी के शासनकाल में अरब यात्री सुलेमान आया था ।

उसने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई ।उसने पूर्वोत्तर में प्रज्योतिषपुर ,उत्तर में नेपाल ,पूर्वी तट पर उड़ीसा तक विस्तार किया ।उसके शासनकाल में दक्षिण -पूर्व एशिया के साथ भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे ।

उसने जावा के शासक बालपुत्रदेव के आग्रह पर नालंदा में एक बिहार की देखरेख के लिए ५ गाँव अनुवाद में दिए ।

देवपाल ने ८५० ई. तक शासन किया था ।

देवपाल के बाद पाल वंश की अवन्ति प्रारम्भ हो गई ।

देवपाल के निम्न पल वंश के राजा हुए
  • शुर पाल महेन्द्रपाल (८५०-८५४ई)
  • विग्रह पाल (८५४--८५५ ई.)
  • नारायण पाल (८५५--९०८ई.)
  • राज्यों पाल (९०८--९४०ई.)
  • गोपाल -॥ (९४०--९६०ई.)
  • विग्रह पाल---॥ (९६०--९८८ ई.)
  • महिपाल (९८८--१०३८ई.):---११ वी सदी में महिपाल  प्रथम ने ९८८ ई --१०३८ ई. तक शासन किया ।महिपाल को पाल वंश का द्वितीय संस्थापक कहा जाता है ।उसने समस्त बंगाल और मगध पर शासन किया ।

          महिपाल के बाद पाल वंशक शासक निर्बल थे जिससे आंतरिक दवेशऔर सामंतो ने विद्रोह उतपन्न कर दिया


  • नाय पाल (१०३८-१०५५ ई.)
  • विग्रह पाल -३ (१०५५--१०७०ई.)
  • महिपाल -२ (१०७०-१०७५ई.)
  • शुरपाल-२ (१०७५-१०७७ई.)
  • रामपाल (१०७७ -११३०ई.)
  • कुमारपाल (११३०-११४०ई.)
  • गोपाल -३ (११४०-११४४ई.)
  • मदनपाल (११४४-११६२ई.)
  • गोविन्द पाल (११६२-११७४ई.)

                       इस तरह ११७४ई. के बाद पाल वंश पूरी तरह सफाया हो गया ।और इसके बाद सेन राजवंश ने बंगाल पर १६०वर्ष तक राज किया ।

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