विश्व का इतिहास की महत्वपूर्ण घटनायें
1. धर्मयुद्ध (1095-1272 ई.):
यह 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच पवित्र स्थल येरूशलम को प्राप्त करने के लिए पश्चिमी यूरोप के ईसाइयों ने 1095 ई से 1272 ई के बीच येरूमलम को प्राप्त करनें के लिए आठ बार आक्रमण किए, किंन्तु सफल नही हो सके। अंत में जनरल एलेनबी ने 1997 में येरूशलम को तुर्की कें आधिकार से मुक्त करा लिया।
2. मैग्नाकार्टा (1215 ई):
इंग्लैण्ड केे राजा जॉन द्वितीय के अत्याचारी शासन के विरोध में सामंतों तथा पादरियों नें जनता के साथ मिलकर शासन में सुधार के लिए एक आधिकार पत्र तैयार किया, जिस पर विवश होकर राजा जॉन द्वितीय को 15 जून, 1215 को हस्ताक्षर करना पड़ा। इस आधिकार पत्र को ‘मैग्नाकार्टा‘ कहते हैं। 63 धाराओं वाला यह आधिकार-पत्र अंग्रेजी जनता की स्वतंत्रता की आधारशिला माना जाता है।
3. धर्म सुधार (14वीं और 15वीं शताब्दी ):
यह एक आंदोलन था, जो चर्च की बुराइयों को दूर करने के लिए चलाया गया था। प्रोटेंस्टेट सम्प्रदाय का जन्म इसी आंदोलन के समय हुआ। इसी समय वाइक्लिफ की प्ररेणा से पहली बार बाइबिल का अंग्रेजी में अनुवाद हुआ। धर्मसुधार आंदोलन के दो रूप थे
(a)प्रोटेंस्टेट धर्म सुधार, तथा
(b)कैथोंलिक धर्म सुधार।
प्रोटेंस्टेटट धर्म सुधार की शुरूआत 1517 ई में जर्मनी कें मार्टिन लूथर ने की। उसने क्षमापत्रोें की बिक्री के विरूद्ध ‘ 95 thesis' ‘ प्रस्तुत की।
कैथोलिक धर्मसुधार की शुरूआत 16 वीं सदी के मध्य मेें हुई। कैथोलिक धर्मसुधार में ‘ट्रेट की सभा ‘ (1543 -1563 ई ) की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
4. ओटोंमन साम्राज्य (1400 ई़.-1600 ई.):
14 जुलाई ओटोमन साम्राज्य की स्थापना ‘ओथमैन ‘ नामक एक कट्टर गाजी मुगलमान ने की थी। ओटोमन साम्राज्य का विस्तार तीन महाद्वीपों - एशिया, यूरोप और अफ्रीका तक था।
5. वाणिज्यिक का्रंति (1500 ई़.)
नये देशों के खोजों से व्यापारिक देशों को नये बाजार मिले गये तथा इससे व्यापारिक गतिविधियां तेज हो गयी। इससें वाणिज्यिक क्रंाति प्रारंभ हुई। इसके अंतर्गत नये-नये बैकों की स्थापना की गयी, स्टॉक एक्सचेंज प्रणाली का विकास हुआ तथा व्यापारिक क्षेत्र में कई नये शहर उभर कर सामने आये।
6. पुनर्जागरण (15वीं और 16वीं शाताब्दी )
पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ है- ‘पुनर्जन्म‘। यह इटली से प्रारंभ हुआ और पूरे यूरोप और बाद में पूरे संसार मे फैल गया। पुनर्जागरण के अंतर्गत सामाजिक बुराइयों को दूर किया गया तथा कई नयी बातों को अपनाया गया। मानवतावाद इसका सबसे प्रमुख क्षेत्र था। साहित्य, काल दर्शन तथा विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों पर इसका प्रभाव पड़ा।
7. औद्योगिक क्रांति (16वीं शाताब्दी )
वैज्ञानिक विचारों के उदय से इग्लैंड एवं बाद में यूरोप में कृषि, वाणिज्य, संचार और यातायात के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ, जिसे ‘औद्योगिक क्रांति‘ कहा गया। इस क्रांति के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया। औद्योगिक। क्रांति ने न केवल इग्लैंड अपितु पूरे विश्व पर गहरा प्रभाव डाला। इस क्रांति के समय कई महत्वपूर्ण आष्किार किये गये।
8. गौरवमयी क्रांति (1688-89 ई.)
यह क्रांति इग्लैंड में हुई। इस क्रांति में किसी प्रकार का खून-खराबा नहीं हुआ, इसलिए इसे‘ रक्तहीन क्रांति‘ भी कहते हैं। इस समय इग्लैंड का राजा जेम्स द्वितीय था। वह जनता में अलोकप्रिय था। क्रांति के बाद वह फ्रांस भाग गया। इस क्रांति सें इंग्लैड में निरंकुश राजतंत्र समाप्त हो गया तथा संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई।
9. अमेरिका की क्रांति (1776 ई )
अमेरिका, सबसे पहले इंग्लैड का उपनिवेश या गुलाम था। इंग्लैड यहां के लोगांे पर अत्याचार करता था। इससे कुछ समय बाद यहां के स्थानीय लोगों एवं उपपिवेश के लोगों के बीच टकराव प्रारंभ हो गया। इस टकराव के कारण आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक तीनों थे। 16 दिसम्बर, 1773 की बोंस्टन चाय पार्टी की इस कांति की शुरूआत हो गयी। अमेरिका की इस क्रांति का नेतृत्व जॉर्ज वाशिंगटन ने किया। बंकर्स हिल की लड़ाई तथा बकलिन के युद्ध में अमेरिकियों को विजय मिली। 1773 के साराटोगा के युद्ध में जॉर्ज वाशिंगटन ने अंग्रेज जनरल बुंगाइन को आत्म-समर्पण के लिये मजबूर कर दिया। इसके बाद कई अन्य स्थानोें में इंग्लैड को अमेरिका ने हराया। 19 अक्टूूबर, 1781 को अंग्रेज सेनाध्यक्ष लार्ड कार्नवालिस ने यार्कटाउन में आत्म- समर्पण कर दिया। 1783 में पेरिस की संधि से युद्ध समाप्त हो गया तथा अमेरिका स्वतंत्र देश बन गया। स्वतंत्रता के बाद जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बने। टॉमस जैफरसन ने अमेरिका की स्वतंत्रता का घोषणा - पत्र तैयर किया।
10. फ्रांस की क्रांति (1789-93 ई. )
14 जुलाई, 1789 को जनता ने क्रुद्ध होकर राजा के अत्याचार के प्रतीक बास्तील जेेल को तोड़कर कैदियोें को मुक्त कर दिया। इस घटना के कारण फ्रांस में व्यापक क्रांति हुई, जिसे ‘ फ्रांस की राज्य क्रांति‘ कहते है। इस क्रांति के दौरान ‘ स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व ‘ का नारा दिया गया, जो यूरोप एवं विश्व की अनेक क्रांतियांे के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना। इस क्रांति का नायक नेपोलियन था। इस क्रांति का सबसे मुख्य कारण फ्रांस के राजा लुई सोलहवें का अत्याचारी शासन एवं उसकी पत्नी मेरी का विलासितापूर्ण एवं घमंडी व्यहार था।
11. स्वेज नहर का निर्माण (1859-1874 ई.)
स्वेज नहर का निर्माण विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इस नहर का निर्माण म्रिस के शासक सईद पासा (1854 ई़-1863 ई ) के समय किया गया था। यह नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इस नहर के निर्माण से यूरोप और एशिया के बीच की दूरी कम हो गई। फर्डिनेन्ड-डी लैसप्स नामक फ्रांसीसी इंजीनियर इस नहर के वास्तुकार थे। इस नहर का निमार्ण 1859 ई मेें आरंभ हुआ तथा यह 10 वर्षोे में बनकर तैयार हुई। 1956 मे मिस्र के शासक कर्नल नारिस ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया, जिसके कारण फ्रांस, ब्रिटेन तथा इरायल नें मिस्र पर आक्रमण कर दिया, जिसे ‘ स्वेज नहर का युद्ध ‘ कहते हैं। स्वेज नहर को 1975 में फिरसे खोल दिया गया।
12. चीन की क्रांति (1911 ई)
मंचू सरकार से चीन के लोग प्रसन्न नहीं थे। इसके कारण चीन में 1911 में एक क्रांति हुई, जिसमें मंचू सरकार को सत्ता से हटा दिया गया तथा वहां नया साम्यवादी शासन स्थापित हुआ। चीन में गणतंत्र की स्थापना की गयी। इस क्रांति के नायक डॉ ़ सनयात सेन थे उन्होंने एक क्रांतिकारी संगठन ‘ ‘तंग-मेंग-हुई‘ की स्थापना की।
13. प्रथम विश्व युद्ध (1914-18 ई़ )
प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक लड़ा गया। ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार आर्क ड्यूक फ्रासिंस फर्डिनेड की हत्या इस महायुद्ध का तात्कालिक कारण था। ऑस्ट्रिया-सर्बिया और फ्रांस-जर्मनी के संघर्ष की शुरूआत हो गयी। पूरा विश्व दो गुटों में बंट गया। ऑस्ट्रिया, तुर्की, जर्मनी, हंगरी तथा बुल्गारिया एक ओर एवं मित्र राष्ट्र - जिसमें ब्र्रिटेन, फ्रांस, सर्बिया, बेल्जियम तथा रूस शामिल थे, दूसरी ओर थे। बाद में इटली और अमेरिका ने भी मित्र राष्ट्रों का साथ दिया। मोर्न का युद्ध, बर्डन का युद्ध एवं जटलैंड का युद्ध इस महायुद्ध के तीन प्रमुख भाग थे। इस मित्रों देशों की विजय हुई। इस युद्ध में जर्मनी बुरी तरह पराजित हुआ तथा उसे 1919 में वर्साय की संधि की अपमानजनक शर्तों को स्वीकार करना पड़ा। इस युद्ध का पूरा दोष जर्मनी पर लगाया गया। उससे उसके कई प्रदेश छीन लिए गये तथा युद्ध की क्षतिपूर्ति के रूप में भारी जुर्माना लगाया गया। इस संधि की शर्ते द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनीं।
14. रूस की बोल्शेविक क्रांति (1997 ई )
रूस क्रांति की क्रांति का मुख्य कारण रूस के शासक जार निकोलस द्वितीय का निरंकुश शासन एवं उनका मनमानापन था। उसके शासन से जनता तंग आ चुकी थी। इसी वजह से उसे हटाने के लिये यह क्रांति हुई। इस क्रांति का नेतृत्व लेनिन ने किया। इसके बाद ही रूस में समाजवाद का जन्म हुआ और मार्क्सवादी विचारधारा की सामने आयी। विश्व में प्रथम साम्यवादी सरकार की स्थापना लेनिन ने ही की थी।
15. राष्ट्र संघ का उदय (1920 ई )
प्रथम विश्व के बाद यह महसूस किया जाने लगा की विश्व की राजनीतिक समस्याओं को हल करने के लिए एक ऐसी संस्था का गठन किया जाना चाहिये, जो इस कार्य को पूरा कर सके। वर्साय की संधि के बाद 10 जनवरी, 1920 कों राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। राष्ट्र संघ की स्थापना का उदेद्श्य अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का स्थापना करना, विश्व के विभिन्न देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाकर सभी के लिये सुखमय जीवन सुनिश्चित करना एवं पेरिस शांति सम्मेलन की संधियों कों अमल को लाना था। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के जेनेवा नगर में स्थापित किया गया था। प्रारंभ में इसमेें 52 सदस्य थे, किंतु बाद बढ़कर 57 हो गए थे। लेकिन राष्ट्र संघ अपने उदेद्श्य में सफल नहीं हुआ तथा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसकी जगह संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गयी।
16. इटली का एकीकारण (19 वीं शाताब्दी )
19वीं शाताब्दी के प्रारंभ तक इटली से छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था तथा 1870 से पहले तक इटली का नाम का कोई देश नहीं था। जब नेपोलियन फ्रांस का सामाज्य बना तो उसने इन गणराजों तथा पोप के राज्य की स्थापना की। इस प्रकार इटली के एकीकारण के शुरूआत हुई। इसमें सबसे प्रमुख भूमिका इटली के शासक विक्टर एमानुएल तथा अन्य लोगों कावूर,मैजिनी एवं गैरीबाल्डी की रही। इसके लिए इटली के लोगों को कई युद्ध भी करने पड़े। जब 20 सितम्बर, 1870 को रोम पर अधिकार हो गया तो इटली के एकीकारण का कार्य पूरा हो गया।
17. जर्मनी का एकीकारण ( 19वीं शाताब्दी
सन् 1789 से पहले तक जर्मनी लगभग 300 छोटे-बड़ों राज्यों में बंटा हुआ था। ये सभी राज्य पवित्र रोमन साम्राज्य के अधीन थे। लेकिन नेपोलियन ने जब जर्मनी में 39 राज्यों को एक संघ बानया तो वहां एकीकारण का मार्ग खुल गया। इसके बाद जर्मनी के लागों ने देश एकता के प्रयास का प्रारंभ कर दिये। जर्मनी के एकीकारण में सबसे प्रमुख भूमिका बिस्मार्क की थी। उसने अपनी ‘ रक्त एवं लौह की नीति ‘ द्वारा इस महान कार्य को पूरा कर दिया। 10 मई, 1871 को एवं प्रशा के बीच फै्रकफर्ट की संधि होते ही जर्मनी एकीकारण पूर्ण हो गया।
18. अमेरिका का गृहयुद्ध ( 1861-1868 ई )
4 जुलाई, 1776 को अमेरिका के सभी 13 उपनिवेशों को स्वतंत्रता मिल गयी। इसके बाद उत्तर एवं दक्षिण के राज्योें में आपस में मनमुटाव बढ़ने लगा। उत्तर के राज्य जहां साधन संपन्न थे, वहीं दक्षिण के राज्य पिछड़े हुये एवं अर्द्धविकसित अवस्था में थे। दासता की समस्या सबसे प्रमुख थी। इस प्रकार उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में मतभेद बढ़ता गया और 12 अप्रैल, 1861 को अमेरिका के गृहयुद्ध प्रारंभ हो गया। यह युद्ध चार वर्षो तक चला। इसमें प्रारंभ से ही उत्तरी राज्यों की स्थिति मजबूत थी। अंत में उत्तरी राज्यों की विजय हुई तथा दक्षिण राज्यों की हार गये। 14 अप्रैल, 1865 जॉन विस्कस ब्रूस द्वारा अबा्रहम लिंकन की हत्या कर देने से इस गृह युद्ध पर एक काला धब्बा लग गया। इस युद्ध को अमेरिका में जन-धन का काफी नुकसान हुआ लेकिन इसके बाद वहां एक नये युग आरंभ हुआ।
19. नाजीवाद ( 20 वीं शताब्दी )
नाजीवाद का उदय जर्मनी में हुआ। नाजीवाद के उदय के काई कारण थे। इसमें युद्ध के बाद की आर्थिक परेशानियां, बेरोजगारी, पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध, जर्मनी के लोगों के क्रांतिकारी भावना के उदय, वर्साय की संधि की अपमानजक शर्ते आदि थे। नाजीवाद की स्थापना राजनीतिक षडयंत्र के द्वारा की गयी। हिटलर नाजीवाद का सबसे प्रमुख नेता था। उसने नात्सी दल का गठन किया तथा नया झड़ा अपनाया।
20. फासीवाद (20वीं शताब्दी )
फासीवाद का उदय इटली में हुआ फासिस्ट लैटिन भाषा के बाद ‘ फेसियो‘ से बना है, जिसका अर्थ है-फरसे के साथ डंडो को गठ्ठर। सर्वप्रथम फासीदल की स्थापना मार्च, 1919 में बोल्शेविकवाद के विरोध में हुई थी। फासीवाद दल सभी लोग शामिल थे। इस दल के सदस्य काली कमीज पहनते थे। इस दल का नेता मुसोलिनी था। पेरिस शांति सम्मेलन की अपमाजनक शर्ते, अर्थिक परेशानियां, बेरोजगारी, पूंजीवाद व्यवस्था का विरोध, इटली के लोगों में क्रांतिकारी भावना का उदय आदि फासीवाद के उदय के कारण थे।
21. रोम-बर्लिन-टोकियो-धुरी ( 1936-37 ई )
हिटलर की आक्रामक नीतियों से यूरोप के विभिन्न देश भयभीत हो गये। इसकी वजह से ये देश जर्मनी के विरूद्ध गुटबंदी करने लगे। इससे हिटलर अतंर्राष्ट्रीय राजनीति में अकेला महसूस करने लगा। उसने इटली तथा जापान के साथ मिलकर एक गुट बना लिया। इटली और जर्मनी के मध्य से अक्टूबर, 1936 ई मेें एक समझैता हुआ, जिसे रोम-बर्लिन धुरी कहा गया। बाद में जापान ने नवंबर, 1936 मेें एक समझैता किया, जिसे कामिटर्न विरोधी समझौता‘ कहा जाता है।
22. द्वितीय विश्व युद्ध ( 1939-45 ई )
द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक लड़ा गया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुई वर्साय की संधि से जर्मनी और इटली में क्रमशः नाजीवाद एवं फासीवाद का उदय हुआ। इसके अलावा जापान की विस्तारवादी नीतियां तथा ब्रिटेन और फ्रांस की बढ़ती साम्राज्यवादी शाक्ति में संघर्ष भी इस युद्ध के कारण बने। इससे धुरी राष्ट्रों ने ( जर्मनी, इटली और जापान ) ने मित्र राष्ट्रों ( फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, अमेरिका और पोलैंड ) के विरूद्ध युद्ध किया। धुरी राष्ट्रों की हार हुई। एल अलनीन की लड़ाई, स्टेलिनगा्रद की लड़ाई, कोरल की, अलामेन का यु़द्ध तथा नारमंडी की लड़ाई इस महायुद्ध की प्रमुख लड़ाईयां थी। इस युद्ध में जापान ने 7 दिसंबर, 1914 ई को अमेरिका के पर्ल हार्बर पर आक्रमण किया, जिसके कारण अमरीका ने जापान के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी और 1945 ई में जापान के दो शहरों - हिरोशिमा और नागासाकी पर क्रमशः 6 और 9 अगस्त को परमाणु बम गिराये। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति 14 अगस्त, 1945 ई को हुई।
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