छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख चिन्ह से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
छत्तीसगढ़ राज्य चिन्ह ( State Symbol ) —
छत्तीसगढ राज्य के प्रतीक चिन्ह का आकृति गोलाकार है। इस गोलाकार आकृति के बाहर की ओर 36 गढ (किले) अंकित है। इसके मध्य में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ है, जिसके नीचे आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते एवं राज्य फसल धान की सुनहरी बालियां अंकित है। इसमें राष्ट्रध्वज के तीनों रंगों के साथ छत्तीसगढ राज्य के नदियों को लहरों के रूप में रेखांकित किया गया है। इन नदियों के चिन्ह के दोनों ओर उर्जा के चिन्ह को अंकित किया गया है।
छत्तीसगढ राज्य के प्रतीक चिन्ह का आकृति गोलाकार है। इस गोलाकार आकृति के बाहर की ओर 36 गढ (किले) अंकित है। इसके मध्य में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ है, जिसके नीचे आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते एवं राज्य फसल धान की सुनहरी बालियां अंकित है। इसमें राष्ट्रध्वज के तीनों रंगों के साथ छत्तीसगढ राज्य के नदियों को लहरों के रूप में रेखांकित किया गया है। इन नदियों के चिन्ह के दोनों ओर उर्जा के चिन्ह को अंकित किया गया है।
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2. छत्तीसगढ़ की भाषा :- छत्तीसगढ़ी
छत्तीसगढ़ी, भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में बोले जानी वाली आधिकारिक भाषा है | यह मुंडा और द्रविड़ भाषाओं से ली गयी भारी शब्दावली और भाषाई सुविधाओं के साथ एक पूर्वी हिन्दी भाषा है।
3. छत्तीसगढ़ राज्य पशु :- वन भैंसा (वाइल्ड बफेलो)
एशियाई भैंस की एक प्रजाति जो छत्तीसगढ़ मे पाई जाती है उसे वन भैसा नाम से जाना जाता है और यह छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु है। इस प्राणी को दिया गया वैज्ञानिक नाम बाबुलस अर्नी (Babulas Arnee) है।
छत्तीसगढ राज्य का राजकीय पशु वन भैंसा (Wild Buffalo) अर्थात Bubalus Bubalis है। वन भैंसा छत्तीसगढ के दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक है। बींसवी सदी के शुरूआत में ये प्रजाति अमरकंटक से लेकर बस्तर तक क्षेत्र में बहुत अधिक संख्या में पाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई। अभी वर्तमान में वनभैंसा प्रमुखत: दंतेवाडा जिले के इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान एवं उदन्ती अभारण्य में पाया जाता है। यहां पाये जाने वाला वन भैंसें की नस्ल सर्वाधिक शुध्द है अत: छत्तीसगढ राज्य के वन भैंसे का विशेष महत्व है, इस कारण से छ.ग. शासन द्वारा इसे राज्य पशु का दर्जा दिया गया है। शिकार तथा इसके रहवास पर मानव के बढते दबाव के कारण इसकी संख्या पर संकट बढ. गया है। इसको संरक्षित किये जाने के लिए छत्तीसगढ शासन द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
4. छत्तीसगढ़ के राज्य पक्षी :- पहाड़ी मैना (हिल मैना)
पहाड़ी मैना को दिया वैज्ञानिक नाम ग्राकुला (Gracula) है।
बस्तर की पहाडी मैंना Hill Myna (Grakcula Religiosa) को छत्तीसगढ राज्य की राजकीय पक्षी घोसित किया गया है। यह मुख्य रूप से बस्तर में पाया जाता है। पहाडी मैंना का असतित्व भी संकटग्रस्त है, इस कारण से कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इसे संरक्षित किया गया है। पहाडी मैंना तोते की तरह मनुष्य की भांति बोलने और आवाज की सटीक नकल कर लेता है, इसकी इस प्रतिभा ही उसके अस्तित्व के लिए संकट बनी गई है । इसके अवैध व्यापार एवं शिकार को रोकने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
है .
5. छत्तीसगढ़ राज्य वृक्ष :- साल या सराई
साल या सराय को दिया वैज्ञानिक नाम शोरीया रोबस्टा (Shorea robusta) है।
राज्य शासन ने साल वृक्ष (Shorea Robusta) को राजकीय वृक्ष के रूप में अपनाया है। छत्तीगढ राज्य के वन
क्षेत्र के एक तिहाई भाग में साल का वन पाया जाता है। छत्तीसढ में सबसे अधिक साल वन बस्तर जिले में पाये जाते हैं, इस कारण बस्तर जिले को साल वनों का द्वीप का कहा जाता है। साल वृक्षों की उंचाई 12 से 30 मीटर तक होती है। इस वृक्ष की लकडी को इमारती लकडी के रूप में उपयोग किया जाता है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल वृक्ष विष्णु को बहुत प्रिय है। बौद्ध धर्म में भी यह पवित्र है क्योंकि रानी माया ने साल वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को जन्म दिया था। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है। संस्कृत भाषा में इसका कई अन्य नाम जैसे आश्वकरना, चिरपरणा और सरजा है।
राजकीय भाषा—
छत्तीसगढी को राज्य भाषा का दर्जा मिल गया है। 25 नवम्बर 2007 को छत्तीसगढ विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत किया गया है, इसमें कहा गया है कि छत्तीगढ राज्य के राजकीय प्रयोजनों में प्रयुक्त की जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी भाषा के साथ साथ छत्तीसगढी को अपनाना है। इस विधयेक को सर्वसम्मति से पारित किया गया है।
नई राजधानी—
कुठेरभांठा राखी गांव में नया रायपुर के नाम से नई राजधानी बनाई गयी है। यह छत्तीसगढ राज्य की राजधानी है।
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