भारत के राष्ट्रीय प्रतीक(National symbols of India) - GK Study

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भारत के राष्ट्रीय प्रतीक(National symbols of India)

भारत के  राष्ट्रीय प्रतीक  जैसे ध्वज, गान, गीत, पशु, पक्षी, जलीय जीव, फल, फूल, नदी आदि तथा उनके बारे में महत्वपूर्ण  तथ्य 


राष्ट्रीय ध्वज ( National Flag )


राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं, गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफ़ेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लम्बाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है। सफ़ेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है। शीर्ष में गहरा केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफ़ेद पट्टी धर्म-चक्र के साथ शान्ति और सत्य का संकेत है। हरा रंग देश के विकास और उर्वरता को दर्शाता है। चक्र का प्रारूप सारनाथ में स्थित अशोक के सिंह स्तम्भ पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इसमें 24 तीलियाँ हैं। भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया और 14 अगस्त 1947 को प्रस्तुत किया गया।

राष्ट्रीय-ध्वज


राष्ट्रीय गान ( National Anthem )


नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के “जन गण मन” के नाम से प्रख्यात शब्दों और संगीत की रचना भारत का राष्ट्रगान है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी, 1950 को अपनाया था। राष्ट्रगान की कुल गायन अवधि 52 सैकेण्ड है।

यह गीत सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता ( कलकत्ता ) अधिवेशन में 27 दिसम्बर, 1911 को गाया गया था। इस गीत के मूल रूप में 5 पद हैं, परन्तु राष्ट्रीय गान के रूप में इसका प्रथम पद ही मान्य है।

जन-गण-मन अधिनायक, जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता,
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल बंग,
विन्ध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा,
उच्छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष माँगे
गाहे तब जय-गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय, जय हे |


राष्ट्रीय गीत ( National Song )


श्री बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा 1882 में लिखित उपन्यास आनंदमठ से ली गई कविता “वन्दे मातरम्” को 24 जनवरी, 1950 में राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया गया। इस गीत को सर्वप्रथम 1896 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था। संस्कृत में रचित यह गीत स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में प्रेरणा का स्रोत था इसका पहला अंतरा इस प्रकार है :-

वंदे मातरम् वंदे मातरम्।
सुजलाम् , सुफलाम् , मलयज शीतलाम् ,
शस्यश्यामलाम् , मातरम्।
वंदे मातरम्।
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम् ,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम् ,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम् ,
सुखदाम् वरदाम् , मातरम्।
वंदे मातरम् वंदे मातरम्।।


राजकीय प्रतीक ( National Symbol )


भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित सम्राट अशोक के सिंह स्तम्भ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तम्भ में शीर्ष पर चार सिंह हैं जो एक-दूसरे की ओर पीठ किये हुए हैं, जिसमें से केवल सिंह ही दिखाई देते हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्रवल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियाँ हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाये गए इस सिंह स्तम्भ के ऊपर “धर्मचक्र” रखा हुआ है। भारत सरकार ने यह चिह्न 26 जनवरी 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता है। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दायें तथा बायें छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पद्म छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते‘ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है – ‘सत्य की ही विजय होती है।’
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राजकीय-प्रतीक


राष्ट्रीय पंचांग ( National Calender )


राष्ट्रीय कैलेन्डर शक संवत पर आधारित है, 78 ई. में प्रारम्भ हुए शक संवत् का प्रथम माह चैत्र होता है। यह निम्नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया गया है।

    भारत का राजपत्र
    आकाशवाणी द्वारा समाचार प्रसारण
    भारत सरकार द्वारा जारी कैलेन्डर और
    लोक सदस्यों को सम्बोधित सरकारी सूचनाएं

राष्ट्रीय कैलेन्डर ग्रेगोरियन कैलेन्डर की तिथियों से स्थायी रूप में मिलती-जुलती हैं। इसमें एक वर्ष 365 दिन का होता है। सामान्यता चैत्र प्रथमा 22 मार्च को होता है तथा लीप वर्ष में 21 मार्च को होता है। भारतीय संविधान ने इसे 22 मार्च, 1957 को राष्ट्रीय पंचांग के रूप में ग्रहण किया।


राष्ट्रीय पक्षी ( National Bird )


भारत का राष्ट्रीय पक्षी ‘मोर’ ( पावो क्रिस्टेटस ) है, जोकि भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत पूरी तरह से संरक्षित है। मोर गरिमामय , सुन्दर, शालीन एवं भारतीय संस्कृति में रचा बसा एक पक्षी है। भारतीय मोर रंगीन, अत्यन्त सुन्दर, हंस के आकार का पक्षी है। इसके सिर पर छोटे पंखों का एक मुकुट होता है जो इसके सौन्दर्य को बढ़ाता है। नर मोर, मादा मोर से अधिक सुन्दर होता है। नर मोर की गर्दन का पृष्ठ भाग गहरे नीले रंग का होता है जबकि पीछे की ओर लगभग 200 लम्बे पंखों का गुच्छा होता है जो कांस्य हरे रंग के होते हैं तथा इन पर चाँद के आकार की सुन्दर व रंगीन सरंचनाएं बनी होती है। नर मोर के नाचते समय इसकी भव्यता दर्शनीय होती है। मोर को “पुनरुत्थान” का प्रतीक माना गया है।

मोर


राष्ट्रीय पशु ( National Animal )


भारत का राष्ट्रीय पशु राजसी बाघ ( पैंथरा टाइग्रिस-लिन्नायस ) है। यह पीले रंग और कत्थई धारीदार लोमचर्म वाला जानवर है। भारत में पायी जाने वाली बाघ की प्रजाति को ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ के नाम से जाना जाता है। इसकी त्वचा पर मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियाँ होती है। लावण्यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया गया है। ज्ञात आठ किस्मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर ( बाघ ) उत्तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देशभर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में भी पाया जाता है। भारत में बाघों की घटती संख्या की जाँच करने के लिए अप्रैल 1973 में बाघ परियोजना ( Project Tiger ) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन 35 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गयी है।



राष्ट्रीय वृक्ष ( National Tree )


बरगद ( फाइकस बेन्गालेंसिस ) अविनाशी एवं वृहद आकार का होने के कारण देश का राष्ट्रीय वृक्ष चुना गया है। इसे ‘वट’ नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह कभी नष्ट नहीं होता है। इसकी लम्बी, बड़ी शाखाएं एवं गहरी जड़ें देश की “अनेकता में एकता” को प्रतिबिंबित करती है। इसकी घनी छाया सूर्य की गर्मी से हमें सुरक्षा प्रदान करती है। भारतीय विवाहिताएं अपने सुखद एवं लम्बे वैवाहिक जीवन के लिए बरगद की पूजा करती हैं। ऋग्वेद एवं अथर्ववेद में भी इसे एक धार्मिक वृक्ष के रूप में वर्णित किया गया है। बरगद एक विशाल छायादार वृक्ष है। इस वृक्ष से प्राप्त होने वाले लेटेक्स एवं छाल में औषधीय गुण भी पाये जाते हैं।

वरगद


राष्ट्रीय पुष्प ( National Flower )


कमल ( नेलम्बो नयुसिफेरा ) भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। यह हल्का गुलाबी रंग का होता है। कमल को एक शुभ एवं धार्मिक पुष्प के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इसे भारतीय धर्म, कला एवं संस्कृति के हर भाग में देखा जा सकता है। कमल दैवीयता, धनधान्यता, ज्ञान एवं प्रकाश का प्रतीक भी है। आदिकाल से कमल भारतीय संस्कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है। मूलतः कमल को देवताओं का प्रतिरूप भी माना गया है। छिछली कीचड़ में उगने के बाद भी कमल अत्यंत पवित्र माना जाता है। बुद्ध के अनुयायी कमल को “निष्ठा” के प्रतीक के रूप में देखते हैं। यह ह्रदय एवं मन की शुद्धता को भी दर्शाता है। अपने देवत्व, गौरव, सम्पन्नता के प्रतीक, लम्बी आयु एवं शुचिता के कारण ही इसे राष्ट्रीय पुष्प के रूप में सम्मानित किया गया है।

कमल


राष्ट्रीय फल ( National Fruit )


आम ( मेग्नीफेरा इंडिका ) उष्ण कटिबन्धीय हिस्से का सबसे अधिक महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से उगाया जाने वाला फल है। भारत में विभिन्न आकारों, मापों रंगों के आमों की 100 से अधिक किस्में पाई जाती हैं। आम को अनंत समय से भारत में उगाया जाता रहा है। कवि कालिदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे हैं। मुग़ल बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा में 1,00,000 से अधिक आम के पौधे लगवाये थे, जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है। स्वाद से परिपूर्ण होने के कारण इसे फलों का राजा भी कहा जाता है।

राष्ट्रीय फल आम


राष्ट्रीय नदी ( National River )


गंगा भारत लम्बी नदी है जो पर्वतों, घाटियों और मैदानों में 2510 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर में भागीरथी नदी के नाम से बर्फ के पहाड़ों के बीच जन्म लेती है। आगे चलकर इसमें अन्य नदियाँ जुड़ती हैं, जैसे कि अलकनंदा, यमुना, सोन, गोमती, कोसी और घाघरा आदि। गंगा नदी का बेसिन विश्व के सबसे उपजाऊ क्षेत्र के रूप में माना जाता है और यहाँ सबसे अधिक घनी आबादी निवास करती है। यह लगभग 1,000,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हिस्सा है। गंगा नदी को हिन्दू समुदाय में पृथ्वी की सबसे अधिक पवित्र नदी माना जाता है। गंगा नदी बांग्लादेश के सुन्दरवन में गंगा डेल्टा पर आकर व्यापक हो जाती है और इसके बाद बंगाल की खाड़ी में मिलकर इसकी यात्रा पूरी होती है।

राष्ट्रीय जलीय जीव ( National Aquatic Animal )


मीठे पानी की डॉलफिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है। यह स्तनधारी जीव पवित्र गंगा की शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकती है। यह मछली लम्बे नोकदार मुँह वाली होती है और इसके ऊपरी तथा निचले जबड़ों में दांत भी दिखाई देते हैं। इनकी आँखें लेंस रहित होती हैं और इसलिए ये केवल प्रकाश की दिशा का पता लगाने के साधन के रूप में कार्य करती हैं। डॉलफिन मछलियों का शरीर मोटी त्वचा और हल्के भूरे-स्लेटी त्वचा शलकों से ढका होता है और कभी कभार इसमें गुलाबी रंग की आभा दिखायी देती है। इसके पंख बड़े और पृष्ठ दिशा का पंख तिकोना और कम विकसित होता है। इसका माथा सीधा खड़ा होता है तथा इसकी आँखें छोटी-छोटी होती हैं।

डॉलफीन

नदी में रहने वाली डॉलफिन मछलियाँ एकल रचनायें हैं और मादा मछली नर मछली से बड़ी होती है। इस प्रजाति को भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की गंगा, मेघना, ब्रह्मपुत्र, कर्णफूली नदी में देखा जा सकता है। नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन भारत की एक महत्वपूर्ण संकटापन्न प्रजाति है। और इसलिए इसे वन्य जीवन ( संरक्षण ) अधिनियम 1972 में शामिल में शामिल किया गया है।


राष्ट्रीय खेल ( National Game )


भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी ( Hockey ) है। इसका उद्भव भारत में नहीं हुआ था, परन्तु 1928 ई. के एम्सटर्डम ओलंपिक में भारत ने इसमें स्वर्ण पदक जीता। तभी से हॉकी की पहचान भारत में बनी। संविधान निर्माण के समय हॉकी भारत के लोगों की पहली पसंद पसन्द थी, इसीलिए हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित किया गया। हॉकी में भारत का वर्चस्व लगभग 50 वर्षों ( 1928-1980 ) तक रहा। प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द को ‘हॉकी का जादूगर’ के नाम से जाना जाता है।

राष्ट्रीय खेल हॉकी


मुद्रा चिह्न ( Currency Sign )


भारतीय रूपए का प्रतीक चिह्न अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा के आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपये का चिह्न भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपये का नया प्रतीक देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि अक्षर ‘R’ को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा समानता के चिह्न को प्रतिबिम्बित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिह्न ( ₹ ) को अंगीकृत किया है। यह प्रतीक-चिह्न डी. उदय कुमार द्वारा निर्मित है। इसके साथ ही भारत की मुद्रा अमेरिकी डॉलर ($), ब्रिटिश पाउण्ड (£), जापानी येन (¥), यूरोपीय संघ के यूरो (€) के बाद ऐसी मुद्रा बन गयी जोकि प्रतीक-चिन्ह से पहचानी जाती है। भारतीय रुपये के लिए अन्तर्राष्ट्रीय तीन अंकीय कोड INR ( मानक ISO 4217 के अनुसार ) है।

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