भारत के प्रमुख दर्रे हिंदी में NTPC , RAILWAY GROUP-D , SSC , IBPS , STATE PSC के लिए उपयोगी
जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
बुर्जिल दर्रा : बुर्जिल दर्रा श्रीनगर से गिलगित को जोडता है । यह दर्रा भारत को मध्य एशिया से जोडता है
काराकोरम दर्रा : लद्दाख क्षेत्र में स्थित काराकोरम दर्रा भारत का सबसे ऊँचा दर्रा है जिसकी उंचाई 5624 मीटर है, यहाँ से चीन जाने के लिए एक सड़क भी है।
पीरपंजाल दर्रा : यह श्रीनगर से पश्चिम में स्थित है।
जोजिला दर्रा : ज़ोजिला जम्मू और कश्मीर में जास्कर श्रेणी में स्थित एक प्रसिद्ध दर्रा है। यह दर्रा हिमालय के अन्तर्गत आता है। इसके द्वारा श्रीनगर और लेह सड़क मार्ग से जुड़ते हैं।
बनिहाल दर्रा : बनिहाल दर्रे से जम्मू से श्रीनगर जाने का मार्ग गुजरता है , राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच1ए इस दर्रे से होकर निकलता है। यही दर्रा कश्मीर घाटी को जवाहर सुरंग के माध्यम से जम्मू के रास्ते शेष भारत से जोड़ता है।
अघील दर्रा : यह कराकोरम में स्थित भारत की सबसे ऊंची चोटी K2 के उत्तर में स्थित है यह समुन्दर तल से लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर है और भारत के लद्दाख को चीन के एक्सिन्जियांग (सिकियांग) प्रांत से मिलाता है।
बारालाचा दर्रा : यह जम्मू- कश्मीर में लगभग 5045 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इसमें से बहुत ऊंचा मनाली से लेह सड़क मार्ग गुजरता है यहां शीत ऋतु में हिमपात होता है ।
चांग ला दर्रा : लगभग 5270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से मिलाता है यहां पर चांगला बाबा का मंदिर है ।
खूजराव दर्रा : यह कराकोरम पर्वत श्रंखला में 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और लद्दाख को चीन के सिक्यांग प्रांत से मिलाता है
लानक ला दर्रा : यह जम्मू- कश्मीर के चीन अधिकृत अक्साई चीन इलाके में स्थित है और लद्दाख तथा तिब्बत की राजधानी लासा के बीच संपर्क स्थापित करता है चीन ने सामरिक दृष्टि से इस दर्रे में से गुजरती हुई सिकियांग को तिब्बत से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण किया है
कारा ताघ दर्रा : यह कराकोरम पर्वत पर 6000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और हिमपात के कारण वर्ष की अधिकांश अवधि में बंद ही रहता है
खारदुंग दर्रा: यह जम्मू-कश्मीर के कराकोरम पर्वत में 6000 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है इस दर्रे में से भारत की सबसे ऊंची सड़क गुजरती है परंतु यह हिमपात के कारण शीत ऋतु में बंद रहता है
थांग ला दर्रा: यह जम्मू- कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में 5359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस दर्रे में से खारदुंग के बाद दूसरी सबसे ऊंची सड़क गुजरती है
इमिस ला दर्रा: लगभग 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से मिलाता है यहां पर भूमि बहुत उबड़ खाबड़ है और डाल काफी तीव्र है जिस कारण से इसका अधिक उपयोग नहीं किया जाता यह शीत ऋतु में बंद हो जाता है
पेन्सी ला दर्रा : यह महान हिमालय में 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर जोजी ला के पूर्व में स्थित है यह कश्मीर घाटी को कारगिल से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है परन्तु यह शीत ऋतु में हिमपात के कारण नवम्बर से मई मध्य तक बंद रहता है
जोजी ला दर्रा : लगभग 3850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा श्रीनगर तथा कार्गिल एवं लेह के बीच है यहां पर सड़कों के निर्माण तथा रखरखाव का काम सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाता है इसके सामरिक महत्व को देखते हुए श्रीनगर से जोजी ला सड़क को राष्ट्रीय महामार्ग NH-ID घोषित किया गया है
हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
शिपकी ला दर्रा: यह भारत के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले को तिब्बत के न्गारी विभाग के ज़ान्दा ज़िले से जोड़ता है।
रोहतांग दर्रा: यह मनाली को लेह से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ता है। यह दर्रा समुद्र तल से 4,111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस दर्रे का पुराना नाम 'भृगु-तुंग' था, 'रोहतांग' नया नाम है।
बडालाचा दर्रा: यह मंडी और लेह को सड़क परिवाह से जोड़ता है।
देबसा दर्रा: यह हिमाचल प्रदेश के महान हिमालय में कुल्लू एवं स्पीती के बीच लगभग 5270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इससे कुल्लू तथा स्पीती के बीच छोटे मार्ग का निर्माण हो गया है।
उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
माना दर्रा : यह NH-58 का अन्तिम छोर है। इसे माना-ला, चिरबितया, चिरबितया-ला अथवा डुंगरी-ला के नाम से भी जाना जाता है।
लिपुलेख दर्रा: भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है।
नीति दर्रा: भारत के उत्तराखंड राज्य को तिब्बत से जोड़ने वाला हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। यह 5068 मी. की ऊंचाई पर स्थित हो।
मुलिंग ला दर्रा: यह गंगोत्री के उत्तर में स्थित है और उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है भारी हिमपात के कारण यह शीत ऋतु में बंद रहता है
मंगसा धुरा दर्रा: यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है मानसरोवर के लिए जाने वाले तीर्थ यात्री इस दर्रे का भी प्रयोग करते हैं
सिक्किम राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
जैलेप ला दर्रा: भारत के सिक्किम राज्य को दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा की भारतीय तरफ़ इस दर्रे के चरणों में प्रसिद्ध मेनमेचो झील स्थित है।
नाथू ला दर्रा : भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है।
अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
दिहांग दर्रा: यह अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है और इस राज्य को म्यामार के मांडले से मिलाता है
दिफ़ू दर्रा: यह भी इस राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है और म्यामार के मांडले को छोटा मार्ग उपलब्ध कराता है यह भारत तथा म्यामार के बीच परंपरागत मार्ग है यह पूरे समय यातायात के लिए खुला रहता है।
लिखापानी दर्रा: यह भी अरुणाचल प्रदेश का संपर्क मांडले से कराता है और सारा साल खुला रहता है
यांगसान दर्रा: लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश तथा म्यामार के मांडले में संपर्क स्थापित करता है
यांग्दाप दर्रा: यह भारत एवं तिब्बत की सीमा पर अवस्थित है। यह दर्रा महान हिमालय श्रेणी में अवस्थित है। इसके पास से ही ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है।
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जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
बुर्जिल दर्रा : बुर्जिल दर्रा श्रीनगर से गिलगित को जोडता है । यह दर्रा भारत को मध्य एशिया से जोडता है
काराकोरम दर्रा : लद्दाख क्षेत्र में स्थित काराकोरम दर्रा भारत का सबसे ऊँचा दर्रा है जिसकी उंचाई 5624 मीटर है, यहाँ से चीन जाने के लिए एक सड़क भी है।
पीरपंजाल दर्रा : यह श्रीनगर से पश्चिम में स्थित है।
जोजिला दर्रा : ज़ोजिला जम्मू और कश्मीर में जास्कर श्रेणी में स्थित एक प्रसिद्ध दर्रा है। यह दर्रा हिमालय के अन्तर्गत आता है। इसके द्वारा श्रीनगर और लेह सड़क मार्ग से जुड़ते हैं।
बनिहाल दर्रा : बनिहाल दर्रे से जम्मू से श्रीनगर जाने का मार्ग गुजरता है , राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच1ए इस दर्रे से होकर निकलता है। यही दर्रा कश्मीर घाटी को जवाहर सुरंग के माध्यम से जम्मू के रास्ते शेष भारत से जोड़ता है।
अघील दर्रा : यह कराकोरम में स्थित भारत की सबसे ऊंची चोटी K2 के उत्तर में स्थित है यह समुन्दर तल से लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर है और भारत के लद्दाख को चीन के एक्सिन्जियांग (सिकियांग) प्रांत से मिलाता है।
बारालाचा दर्रा : यह जम्मू- कश्मीर में लगभग 5045 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इसमें से बहुत ऊंचा मनाली से लेह सड़क मार्ग गुजरता है यहां शीत ऋतु में हिमपात होता है ।
चांग ला दर्रा : लगभग 5270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से मिलाता है यहां पर चांगला बाबा का मंदिर है ।
खूजराव दर्रा : यह कराकोरम पर्वत श्रंखला में 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और लद्दाख को चीन के सिक्यांग प्रांत से मिलाता है
लानक ला दर्रा : यह जम्मू- कश्मीर के चीन अधिकृत अक्साई चीन इलाके में स्थित है और लद्दाख तथा तिब्बत की राजधानी लासा के बीच संपर्क स्थापित करता है चीन ने सामरिक दृष्टि से इस दर्रे में से गुजरती हुई सिकियांग को तिब्बत से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण किया है
कारा ताघ दर्रा : यह कराकोरम पर्वत पर 6000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और हिमपात के कारण वर्ष की अधिकांश अवधि में बंद ही रहता है
खारदुंग दर्रा: यह जम्मू-कश्मीर के कराकोरम पर्वत में 6000 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है इस दर्रे में से भारत की सबसे ऊंची सड़क गुजरती है परंतु यह हिमपात के कारण शीत ऋतु में बंद रहता है
थांग ला दर्रा: यह जम्मू- कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में 5359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस दर्रे में से खारदुंग के बाद दूसरी सबसे ऊंची सड़क गुजरती है
इमिस ला दर्रा: लगभग 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से मिलाता है यहां पर भूमि बहुत उबड़ खाबड़ है और डाल काफी तीव्र है जिस कारण से इसका अधिक उपयोग नहीं किया जाता यह शीत ऋतु में बंद हो जाता है
पेन्सी ला दर्रा : यह महान हिमालय में 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर जोजी ला के पूर्व में स्थित है यह कश्मीर घाटी को कारगिल से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है परन्तु यह शीत ऋतु में हिमपात के कारण नवम्बर से मई मध्य तक बंद रहता है
जोजी ला दर्रा : लगभग 3850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा श्रीनगर तथा कार्गिल एवं लेह के बीच है यहां पर सड़कों के निर्माण तथा रखरखाव का काम सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाता है इसके सामरिक महत्व को देखते हुए श्रीनगर से जोजी ला सड़क को राष्ट्रीय महामार्ग NH-ID घोषित किया गया है
हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
शिपकी ला दर्रा: यह भारत के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले को तिब्बत के न्गारी विभाग के ज़ान्दा ज़िले से जोड़ता है।
रोहतांग दर्रा: यह मनाली को लेह से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ता है। यह दर्रा समुद्र तल से 4,111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस दर्रे का पुराना नाम 'भृगु-तुंग' था, 'रोहतांग' नया नाम है।
बडालाचा दर्रा: यह मंडी और लेह को सड़क परिवाह से जोड़ता है।
देबसा दर्रा: यह हिमाचल प्रदेश के महान हिमालय में कुल्लू एवं स्पीती के बीच लगभग 5270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इससे कुल्लू तथा स्पीती के बीच छोटे मार्ग का निर्माण हो गया है।
उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
माना दर्रा : यह NH-58 का अन्तिम छोर है। इसे माना-ला, चिरबितया, चिरबितया-ला अथवा डुंगरी-ला के नाम से भी जाना जाता है।
लिपुलेख दर्रा: भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है।
नीति दर्रा: भारत के उत्तराखंड राज्य को तिब्बत से जोड़ने वाला हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। यह 5068 मी. की ऊंचाई पर स्थित हो।
मुलिंग ला दर्रा: यह गंगोत्री के उत्तर में स्थित है और उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है भारी हिमपात के कारण यह शीत ऋतु में बंद रहता है
मंगसा धुरा दर्रा: यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है मानसरोवर के लिए जाने वाले तीर्थ यात्री इस दर्रे का भी प्रयोग करते हैं
सिक्किम राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
जैलेप ला दर्रा: भारत के सिक्किम राज्य को दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा की भारतीय तरफ़ इस दर्रे के चरणों में प्रसिद्ध मेनमेचो झील स्थित है।
नाथू ला दर्रा : भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है।
अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थित प्रमुख दर्रे
दिहांग दर्रा: यह अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है और इस राज्य को म्यामार के मांडले से मिलाता है
दिफ़ू दर्रा: यह भी इस राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है और म्यामार के मांडले को छोटा मार्ग उपलब्ध कराता है यह भारत तथा म्यामार के बीच परंपरागत मार्ग है यह पूरे समय यातायात के लिए खुला रहता है।
लिखापानी दर्रा: यह भी अरुणाचल प्रदेश का संपर्क मांडले से कराता है और सारा साल खुला रहता है
यांगसान दर्रा: लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश तथा म्यामार के मांडले में संपर्क स्थापित करता है
यांग्दाप दर्रा: यह भारत एवं तिब्बत की सीमा पर अवस्थित है। यह दर्रा महान हिमालय श्रेणी में अवस्थित है। इसके पास से ही ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है।
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